प्रज्ञा समीकरण





गीता सूत्र –2.67



इन्द्रियाणां हि चरतां


यत् मन:अनुविधीयते


तदस्य हरति प्रज्ञां


वायु:नावं इव अम्भसि



जैसे पानी में चल रही नाव को वायु हर लेती है वैसे बिषयों से सम्मोहित


इन्द्रिय के बश में हुआ मन प्रज्ञा को हर लेता है




Mind attracted by the roving senses keeps controls over pure intelligence .



प्रज्ञा क्या है?



इन्द्रियाँ , मन , बुद्धि . प्रज्ञा , आत्मा - इन शब्दों का आपस में गहरा सम्बन्ध है


प्रज्ञा आत्मा की ऊर्जा को सबसे पहले प्राप्त करती है , यह आत्मा के अति समीप है जिस पर


सम्मोहित मन का प्रभाव तो रहता है लेकिन सम्मोहित इन्द्रियों का सीधा कोई प्रभाव नहीं होता



प्रज्ञा के लिए कोई अंग्रेजी में शब्द नहीं है


गीता तत्त्व विज्ञान कि गणित को देखिये -------




बिषय इन्द्रियों को सम्मोहित करते हैं …..........


इन्द्रियाँ मन को सम्मोहित करती हैं …............


मन प्रज्ञा को सम्मोहित करता है ….................


लेकिन प्रज्ञा के साथ स्थित आत्मा पर कोई किसी का असर नहीं होता




=====ओम=========


Comments

Sushil Bakliwal said…
शुभागमन...!
कामना है कि आप ब्लागलेखन के इस क्षेत्र में अधिकतम उंचाईयां हासिल कर सकें । अपने इस प्रयास में सफलता के लिये आप हिन्दी के दूसरे ब्लाग्स भी देखें और अच्छा लगने पर उन्हें फालो भी करें । आप जितने अधिक ब्लाग्स को फालो करेंगे आपके ब्लाग्स पर भी फालोअर्स की संख्या उसी अनुपात में बढ सकेगी । प्राथमिक तौर पर मैं आपको 'नजरिया' ब्लाग की लिंक नीचे दे रहा हूँ, किसी भी नये हिन्दीभाषी ब्लागर्स के लिये इस ब्लाग पर आपको जितनी अधिक व प्रमाणिक जानकारी इसके अब तक के लेखों में एक ही स्थान पर मिल सकती है उतनी अन्यत्र शायद कहीं नहीं । प्रमाण के लिये आप नीचे की लिंक पर मौजूद इस ब्लाग के दि. 18-2-2011 को प्रकाशित आलेख "नये ब्लाग लेखकों के लिये उपयोगी सुझाव" का माउस क्लिक द्वारा चटका लगाकर अवलोकन अवश्य करें, इसपर अपनी टिप्पणीरुपी राय भी दें और आगे भी स्वयं के ब्लाग के लिये उपयोगी अन्य जानकारियों के लिये इसे फालो भी करें । आपको निश्चय ही अच्छे परिणाम मिलेंगे । पुनः शुभकामनाओं सहित...

नये ब्लाग लेखकों के लिये उपयोगी सुझाव.


ये पत्नियां !

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