Posts

Showing posts from 2021

चित्त की पांच वृत्तियां

Image
महर्षि पतंजलि समाधि पाद सूत्र : 5 - 6

सांख्य दर्शन में क्या है ?

  72 सांख्य कारिकाओं का सार   कारिकाएँ बिषय योग 1 - 2 दुःख  02 3 +  17 - 23 ◆ प्रकृति - पुरुष संयोग  ◆ 23 तत्त्वों की उत्पत्ति ● 17 - 20 > पुरुष ● 21 - 22 > प्रकृति के 23 तत्त्व ● 23👇 > बुद्धि के सात्त्विक - तामस रूप 04 सात्त्विक रूप  धर्म , ज्ञान , वैराग्य , ऐश्वर्य   04 तामस रूप  अधर्म , अज्ञान , अवैराग्य , अनैश्वर  ऊपर के ये 08 तत्त्व भाव हैं ; यहां देखें कारिका : 40 , 44 , 45 08 भाव   ● धर्म - अधर्म ,  ● ज्ञान - अज्ञान  ● वैराग्य - राग  ● ऐश्वर्य - अनैश्वर्य  <> ज्ञान को छोड़ शेष प्रकृति के बंधन हैं  08 4 - 6 प्रमाण  03 7 - 8 08 कारणों से प्रकृति - पुरुष का प्रत्यक्ष ज्ञान संभव नहीं 02 9 - 16 17 - 23 ऊपर नंबर 2 में दिया गया है  कार्य - कारण , व्यक्त - अव्यक्त , गुणों की वृत्तियाँ 08 24 - 37 अहंकार , इन्द्रियाँ , करण , तन्मात्र , महाभूब 14 38 - 42 विशेष , अविशेष , लिङ्ग शरीर 05 43 - 45 धर्म , ज्ञान , वैराग्य  और ऐश्वर्य 04 प्रकार के भाव 03 प्रकार से मिलते हैं ;  1 - सांसिद्धिक ( जन्म से ) 2 - प्राकृतिक ( स्वयं प्रकृति से ) 3 - वैकृतिक ( गुरु द्वारा ) 03 46 - 51 50 प्

गंगा रहस्य

Image
  गंगा रहस्य ⤵️ ऋग्वेद और गंगा  👉 ऋग्वेद का जन्म स्थान सप्त सिंधु क्षेत्र माना जाता है और इसकी भाषा संस्कृत न हो कर ऋग्वेदी भाषा है जिसका सम्बन्ध ईरानी भाषा से रहा होगा । सप्त सिंधु की भौगोलिक स्थिति का कोई पता नहीं लेकिन इस क्षेत्र का संबंध ईरान के पूर्वी भाग , अफगानिस्तान और सिंध घाटी की सभ्यता से रहा होगा । 👉 ऋग्वेदकी सर्व पवित्र नदी सरस्वती है । 👉ऋग्वेद में गंगा शब्द एक बार और यमुना शब्द 03 बार आया है ।  👉 ऋग्वेदमें चावल या धान ( paddy ) शब्द नहीं है जबकि गंगा क्षेत्र कृषि दृष्टि से चावल प्रधान क्षेत्र है। इस बातसे यह स्पष्ट होता है कि ऋग्वेद काल के ऋषियों का फैलाव सप्त सिंधु क्षेत्र तक सिमित रहा होगा । श्रीमद्भागवत पुराण   आधारित गंगा  रहस्य  संदर्भ > भागवत स्कंध : 3 + 5 + 6 + 8 + 9 ● प्रलय के समय जब पृथ्वी जलमग्न थी उस समय ब्रह्मा जी अपने  पुत्र पहले मनु को प्रजा वृद्धि हेतु आदेश देते हैं । मनु जी कहते हैं , पिता श्री ! आपके आदेश का पालन करना मेरा धर्म है लेकिन प्रजा रहेगी कहाँ ? प्रजा के निवास के लिए पृथ्वी चाहिए। आदि मनु की बात पर ब्रह्मा जी सोच ही रहे थे कि उ