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Showing posts from July, 2021

सांख्य में कार्य ,कारण और करण भाग - 1

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  सांख्य आधारित कार्य - कारण और करण 【 भाग - 01 】 💐 सृष्टि - रहस्य में कार्य - कारण बाद सांख्य दर्शन का एक अहम बिषय है । आइये ! हम मिलकर निम्न स्लाइड जे आधार पर जो सांख्य आधारित है , देखते और समझते हैं ⬇️

सांख्यकारिका 61 - 72 तक का सार तत्त्व

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  सांख्यकारिका : 61 - 72 तक के सार तत्त्व सांख्य दर्शन  की 72 कारिकाओं  का हिंदी भाषान्तर यहाँ पूर्ण हो रहा है । टेबुलर फॉर्म में इन कारिकाओं के सार तत्त्वों को देने का मात्र  एक प्रयोजन यह है कि इन कारिकाओं को स्मृति नें थीक - थीक बैठा दी जाय जिससे आगे पतंजलि योग दर्शन के 195 सूत्रों को समझने में सरलता रहे ।  # ध्यान रहे कि जबतक सांख्य कारिकाओं की सुलझी समझ न होगी , तबतक पतंजलि योग सूत्रों की स्पष्ट समझ नहीं हो सकती । सांख्य - पतंजलि की स्पष्टता श्रीमद्भगवद्गीता को समझने में सरल बनाती है । ★ हम क्यों दर्शनों की  गंगा में स्नान करना चाहते हैं ? क्या कभीं आप इस प्रश्न को समझना चाहा है ? यदि नहीं तो भारी भूल कर रहे हैं ।  ।। ॐ ।।

सांख्यकारिका 69 , 70 , 71 , 72

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  सांख्यकारिका : 69 , 70 , 71 , 72 🐧ये कारिकाएँ सांख्यकारिका संग्रह के उपसंहार रूप में दी गयी  है  । इन कारिकाओं  के माध्यम से  सांख्य  दर्शन के इतिहास की झलक मिलती है । 🐦 इस प्रकार हम आज सांख्य कारिका बिषय के आखिरी सोपान पर हैं ।  🦃 कल के अंक में टेबुलर फॉर्म में  कारिका 61 - 72 तक के सार को दिया जाएगा एक स्मृति चिन्ह के रूप में । ।।ॐ ।।

सांख्यकारिका 66 , 67 , 68

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  सांख्यकारिका : 66 , 67 , 68 ईश्वर कृष्ण रचित सांख्य दर्शन से सम्बंधित प्रकृति - पुरुष रहस्य को स्पष्ट करने वाली कारिका : 1 से 68 तक की शृंखला  का यह आखिरी अंक है । इसके बाद कारिका : 69 - कारिका : 72 तक के अंतर्गत सांख्य दर्शन के इतिहास के सम्बन्ध में बताया गया है । 💐 बुद्धि योग आधारित 68 संख्यकारिकाओं के अंतिम अंक को ध्यान से समझना चाहिए लेकिन यह तभी संभव हो सकता है जब पिछली कारिकाओं को ठीक से समझा गया हो । अब उतरते हैं कारिका : 66 , 67 और 68 में ⬇️ ।। ॐ ।।

सांख्यकारिका 64 - 65

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  सांख्यकारिका 64 - 65 प्रकृति का स्व बोध यहाँ इन दो कारिकाओं को दो भागों में स्पष्ट करने का यत्न किया गया है जिससे इनकी गूढ़ता को सरल बनाया जा सके । ● सांख्य कारिकाओं से सम्बंधित प्रश्न सभीं राष्ट्रिय परीक्षाओं जैसे IAS /PCS की परीक्षाएं । ★अब हम सांख्य दर्शन की कारिकाओं के आखिरी चरण में प्रवेश कर चूजे हैं अतः जबतक पिछली कारिकाओं से मित्रता नहीं बनी होगी तबतक आखिरी कारिकाओं को समझना कठिन होगा ही। ◆ईश्वरकृष्ण रचित मात्र 72 कारिकाएँ सांख्य दर्शन के तत्त्वों को प्रकाशित कर रही हैं अतः अब केवल 07 और कारिकाएँ शेष हैं। //ॐ //

सांख्यकारिका - 63

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  सांख्यकारिका : 63 , भाग - 1 और भाग - 2 ◆  यहाँ हम देख रहे हैं , निम्न को ⬇️ 1 - प्रकृति स्वयं को 08 भावों में से 07 से स्वयं को बाध लेती है लेकिन जब उसे विवेक ( 08 वां भाव - ज्ञान ) की सुगंध मिलती है तब मुक्त हो कर अपने मूल स्वरूप अर्थात साम्यावस्था में आ जाती है । 2 - 04 प्रकार की सम्प्रज्ञात समाधि में से प्रथम तीन ( वितर्क , विचार , आनंद ) की सिद्धि से प्रकृतिलय और अस्मिता सिद्धि से विदेहलय की स्थितियां मिलती हैं। <> अब देखें दो स्लाइड्स को ⬇️

सांख्यकारिका 61 - 62

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  सांख्यकारिका : 61 - 62 🐧  इन दो  कारिकाओं का सम्बन्ध प्रकृति और पुरुष के स्वभाव से है । प्रकृति पुरुष के लिए निःस्वार्थ भाव से पुरुष ऊर्जा के प्रभाव में कार्य करती है ।  🐦 जब प्रकृति को ऐसा आभाष होने लगता है कि पुरुष उसे देख लिया है तब वह अपनें मूल स्वरुप अर्थात  तीन गुणों की साम्यावस्था की स्थिति में लौट आती है और पुनः पुरुष से आकर्षित नहीं होती । 🦃 पुरुष न आजाद है और न पराश्रित और वह संसरण भी नहीं करता । प्रकृति 23 तत्त्वों से स्वयं को बाध कर रखती है और संसरण भी करती है  । ◆ प्रकृति के अपने 23 तत्त्व ( बुद्धि , अहँकार , 11 इन्द्रियाँ , पञ्च तन्मात्र और पञ्च महाभूत ) उसके आश्रय हैं और यह एक जन्म से दूसरे जन्म में आवागमन भी करती है जिसे संसरण कहते हैं। ।। ॐ ।।

सांख्यकारिका : 55 - 60

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  सांख्यकारिका : 55 - 60 तक का सार 💐 यहाँ आप निम्न के संबंध में देख सकते हैं ... 1 - पुरुष सुख - दुःख भोक्ता है  2 - प्रकृति से उत्पन्न 23 तत्त्व ( बुद्धि + अहँकार +11 इन्द्रियाँ + 05 तन्मात्र + पञ्च महाभूत ) पुरुष के मोक्ष के माध्यम हैं  3 - प्रकृति पुरुष की कैवल्य दिखाने के लिए सारी रचना करती है । प्रकृति का अपना कोई स्वार्थ नहीं होता । प्रकृति उपकार करके तृप्त हो जाती है और फिर पुरुष से आकर्षित नहीं होती ।  4 - कैवल्य प्राप्त पुरुष और तृप्त प्रकृति यदि आपस में मिले तब भी सृष्टि रचना नहीं होती । ।। ॐ ।।

सांख्यकारिका 53 - 54

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💐 सांख्यकारिका : 53 - 54  यहाँ आप निम्न को  समझ सकते हैं 👇 👉 14 प्रकारकी लिङ्ग सृष्टि 👉 सृष्टि और प्रकृति के 03 गुणों का आपसी संबंध  👌 ऊपर दिए गए बिषयों को समझने के लिए निम्न बातों को भी समझना होगा 👇 🐧 सृष्टि प्रकृति मूलक है । प्रकृति की ऐसी कोई रचना नहीं जो प्रकृति के 03 गुणों से अछूती हो । प्रकृति मूलतः निष्क्रिय और जड़ है । तीन गुणों की साम्यावस्था को ही सांख्य और पतंजलि योग सूत्र मूल प्रकृति की संज्ञा देते हैं और वेदांत इसे माया कहता है । 🐧 मूल प्रकृति जड़ और निष्क्रिय होते हुए भी प्रसवधर्मी होती है । जब यह पुरुष ऊर्जा से प्रभावित होती है तब सक्रिय हो उठती है और विकृति हो जाती है । विकृति के फलस्वरूप पहले बुद्धि उत्पन्न होती है । बुद्धि पहली सृष्टि है । विस्तार से देखने के लिए कारिका : 3 , 21 , 22 और 23 को देखें। 👌पूरे ब्रह्मांड में ऐसी कोई सूचना नहीं जो गुणों द्वारा संचालित न हो। हम सब जो भी करते हैं , जो भी सोचते हैं - सब गुणों की ऊर्जा के कारण होता है । हर सूचना के अंदर 03 गुणों की एक मिश्रित ऊर्जा होती है जो हर पल बदल रही है । जैसे थर्मा मीटर में ऊष्मा के आधार पर पारा ऊप

सांख्यकारिका -52

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  सांख्यकारिका : 52 💐सांख्य कारिका : 52 के तत्त्वों को  04 स्लाइड्स के माध्यम से यहाँ स्पष्ट किया जा रहा है । यह कारिका अपनें में एक विशेष स्थान उन लोगों के लिए रखती है जो पूर्णतया बुद्धि केंद्रित हैं। आगे चल कर हम लिङ्ग लय , लिङ्ग शरीर और लिङ्ग सृष्टि को सांख्य दर्शन और पतंजलि योग दर्शन के आधार पर अलग से देखने का प्रयत्न करेंगे । अब देखते हैं , स्लाइड्स 👇👇 ।। ॐ ।।

सांख्यकारिका 41 - 51 में क्या है ?

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  सांख्यकारिका : 41 से 51 तक  में क्या - क्या देखा गया ? नीचे दी गई स्लाइड में सांख्यकारिका : 41 - 51 में देखे गए बिषयों की पुनरावृत्ति की गयी है मात्र इस उद्देश्य से कि आगे दी जाने वाली कारिकाओं को समझने में सुविधा हो सके। 💐 अब देखते हैं स्लाइड को ⬇️ ।। ॐ ।।

सांख्यकारिका 49 , 50 , 51

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  सांख्य कारिका : 49 , 50 और 51 कारिका : 49 , 50 और 51 में निम्न तत्त्वों को स्पष्ट किया गया है..... 1- अशक्ति के भेद 2 - तुष्टि और सिद्धि के भेद  28 प्रकार की अशक्ति , 04 प्रकार की आध्यात्मिक तुष्टि , 08 प्रकार की बाह्य तुष्टि और 08 प्रकार की सिद्धियां हैं तथा 03 प्रकार के सिद्धियों के बाधक तत्त्व हैं । 💐 आप पाठकों से निवेदन है कि जो बात समझ में न आये , उसे जानने के दो श्रोत हैं : पहला श्रोत है पिछली कारिकाओं की यात्रा और निकलना और दूसरा श्रोत है गूगल सर्च या फिर यू ट्यूब । ।। ॐ ।।

सांख्यकारिका 46 , 47 , 48

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  सांख्यकारिका : 46 , 47 , 48 इन 03 कारिकाओं में आप निम्न को देख सकते हैं ⬇️ # 50 प्रकार की बुद्धि  ,  अशक्ति , विपर्यय , तुष्टि और सिद्धि के भेद / ◆ विपर्यय 62 प्रकार की होती है । ## अब देखिये स्लाइड्स को ⬇️

सांख्यकारिका 43 , 44 , 45

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सांख्य कारिका : 43 , 44 और 45 💐 यहाँ लिङ्ग शरीर और भावों के सम्बन्ध को व्यक्त किया जा रहा है। भाव प्राप्ति कैसे होती है ? इस प्रश्न का उत्तर यहाँ दिया गया है। आइये ! देखते हैं उस रहस्य को जिसे आधुनि विज्ञान life particle की खोज की संज्ञा देता है 👇  

सांख्यकारिका 41 , 42

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  सांख्यकारिका : 41 - 42 💐 कारिका : 41 और 42 सृष्टि  विकास के संदर्भ में  अपना अलग स्थान रखती हैं अतः इनको थीकं से समझना , सृष्टि विकास को समझना है । नीचे दी गयी दी स्लाइड्स को ध्यान से समझें और उन पर मनन करें // ॐ //

सांख्यकारिका 31 - 40 में क्या - क्या देखे ?

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  कारिका : 31 - 40  क्या - क्या देखे ? 💐 यहाँ नीचे एक टेबल दिया जा रहा है । इस टेबल में कारिका : 31 - 40 के बिषयों का सार दिया जा रहा है । ऐसा इसलिए किया जा रहा है जिससे पढ़ने वालों  में इन कारिकाओं से सम्बंधित ज्ञान की स्मृति बनी रहे । आगे कारिका 41 का बिषय भी वही है जो कारिका : 40 का है अर्थात लिङ्ग शरीर । 💐 ध्यान रखें और सोचें भी  कि लिङ्ग शरीर  25 सांख्य तत्त्वों में नहीं है और इस शब्द का प्रयोग पुरुष तत्त्व के संबोधन के रूप में किया गया है । लिङ्ग शरीर के माध्यम से पुनर्जन्म होता है और जबतक पुरुष को कैवल्य नहीं मिल जाता , वह लिङ्ग शरीर के माध्यम से बार - बार विभिन्न योनियों में जन्म लेता रहता है । लिङ्ग शरीर का एक प्रमुख तत्त्व संस्कार है । याद रखना होगा कि यह संस्कार वह संस्कार नहीं जिसे आप आम भाषा में प्रयोग करते हैं , यह संस्कार शब्द सांख्य और पतंजलियोग दर्शन का शब्द है जिसे आप आगे चल कर  देखेंगे । अब देखिये टेबल ⬇️ ।। ॐ ।।

सांख्यकारिका 38 , 39, 40

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  कारिका : 38 , 39 , 40  💐 यहाँ 03 सांख्य कारिकाओं का सार निम्न 03 स्लाइड्स के माध्यम से दिखाया जा रहा है जिनके बिषय हैं ⬇️ 👌विशेष - अविशेष तत्त्व और  👌 लिङ्ग शरीर  ।। ॐ ।।

सांख्यकारिका 35 - 37

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  💐सांख्य कारिका : 35 , 36 , 37 ◆ आकर्षण : 1- 11 इंद्रियों + अहँकार का बुद्धि से क्या सम्बन्ध है ? 2 - 13 करणों में द्वारि और द्वार कौन हैं ? # ऊपर के दो प्रश्नों से सम्बंधित कारिका : 35 , 36 और 37 हैं। ◆ सांख्य - सागर में तैरने का आनंद परमानन्द की सुधि बनाये रखता है जहाँ .... न मैं है ,  न तुम हो ... न सुख है न दुःख है  न पाने की चाह है न खोने का गम है  पर ..... *जो है , वह अव्यक्तातीत अवश्य है * // ॐ //

सांख्यकारिका 33 - 34

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💐 कारिका : 33 + कारिका : 34 ◆ 13 अंतःकरण  # 05 ज्ञान इंद्रियों के बिषय ◆ विशेष और अविशेष   # बाह्य करण की क्षमता और अंतःकरण की क्षमता <> ऊपर व्यक्त बिषयों से सम्बंधित सांख्य कारिका : 33 और 34 हैं । अब हम स्लाइड्स पर ध्यान केंद्रित करते हैं ⬇️ ।।🕉️।।

सांख्य कारिका 31 - 32

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  सांख्य कारिका : 31 - 32 【 करण क्या हैं ? 】 पुरुष ऊर्जा से जब मूलः प्रकृति विकृत होती है तब महत् तत्त्व की उत्पत्ति होती है । महत् से अहँकार , अहँकार से मन और 10 इंद्रियों की उत्पत्ति होती हैं । महत् को बुद्धि कहते हैं ।  बुद्धि , अहँकार और मन को अंतःकरण कहते हैं और 10 इंद्रियों को बाह्य करण कहते हैं । इस प्रकार सांख्य दर्शन में 13 करण होते हैं । शेष को नीचे दो स्लाइड्स में देखें 👇 ।। ॐ ।।

सांख्य कारिका 29 - 30

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  सांख्य कारिका 29 - 30 💐 करण दो प्रकार के हैं - बाह्य करण और अंतः करण। > 10 इंद्रियों को बाह्य करण और मन , बुद्धि एवं अहंकार को अंतः करण कहते हैं । 💐 वह इन्द्रिय जो अंतःकरण से संयुक्त हो जाती है , उसे चतुष्टय इन्द्रिय कहते हैं । 👌देह में निम्न 10 प्रकार की वायु होती है 👇 1 - हृदय में प्राण 2 - गुदा में अपान 3 - नाभि में सामान 4 - कंठ में उदान 5 - देह में व्यान 6 - वमन नाग वायु से है 7 - उन्मीलन कूर्म वायु से 8 - कृकल वायु क्षुधाकारक है 9 - जम्हाई देवदत्त वायु से है 10 - धनंजय वायु सर्वव्यापी है जो मृत्यु पर्यंत भी कुछ समय तक देह में रहता है । 💐 अब देखते हैं कारिकाओं में 👇 ।। ॐ ।।

कारिका : 26 , 27 , 28

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  💐 11 इंद्रियों से परिचय 👌 सांख्य कारिका : 26 , 27 और 28 में कपिल मुनि 11 इंद्रियों से परिचय करा रहे हैं । कारिकाओं के एक - एक शब्द को पीना चाहिए अगर ऐसा होने में सफलता नहीं मिल पा रही तो घबड़ा कर भागने की कोशिश न करें , आज नहीं तो कल सफलता मिलेगी ही सही । जब सफलता मिलेगी तब आप वह नहीं होंगे जो पहले थे , आपमें कपिल मुनि की आंशिक ऊर्जा प्रवाहित हो रही होगी और आप सत्य की खुशबू पहचान रहे होंगे ।  👌 सत्य की झलक मन - बुद्धि पारिजात मणि जैसे निर्मल हो जाते हैं , अहँकार श्रद्धा में रूपांतरित होकर आँखों से टपकने लगता है और उन आंसूओं की बूंदों में जो प्रतिविम्वित हो रहा होता है , वह अव्यक्त होता है जिसका अनुमान व्यक्तों के आधार पर किया जाता है । <> अब उतरते हैं , कारिकाओं में और समझते हैं प्रत्यक्ष प्रमाण के 11 श्रोतों को ⬇️

सांख्य कारिका : 23 , 24 , 25

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  सांख्य दर्शन की कारिका : 23 , 24 और 25 के सार ⬇️ ☸️ बुद्धि क्या है ? 💐 अहँकार किन - किन तत्त्वों का कारण है ? ## इन दो बातों को ईश्वरकृष्ण रचित सांख्य कारिका : 23 , 24 और 25 में देखें जो निम्न प्रकार हैं ⬇️ ।।🕉️ ।।

कारिका : 21 - 22 सार

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  💐 सांख्य कारिका : 21 और 22 में दो बातें स्पष्ट की गयी हैं जो निम्न हैं .... 1- प्रकृति - पुरुष संयोग किस प्रकार का है ? 2 - यह संयोग क्यों होता है और इसका फल क्या है ? 💐 आइये ! देखते हैं इन दो प्रश्नों के उत्तर को कारिका : 21 - 22 के निम्न स्लॉड्स के माध्यम से ⬇️ ।। ॐ ।।