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Showing posts with the label बुद्धि मार्ग एक कठिन मार्ग है

गीता में दो पल - 5

1- असीम बुद्धि मिली हुयी है ,आप को । यक़ीनन यह पल आपको दुबारा नहीं मिलनें वाला , जितनी दूरी तय कर सकते हो , कर लो ,बादका पछतावा आपके काम न आयेगा ।अनंतकी यात्राके लिए आप बुद्धि मार्ग...

गीता मर्म - 35

सांख्य - योग गीता में सांख्य , ज्ञान , ये दो शब्द बार - बार आप को मिलेंगे , कुछ लोग सांख्य को ज्ञान कहते हैं , लेकीन यह सांख्य है क्या ? ईसा पूर्व लगभग 200 - 300 वर्ष , सांख्य साधना का एक मार्ग था लेकीन आज इसका नाम न के बराबर ही है । भारत के धर्माचार्य लोग जिसको मारना होता है उसकी पूजा करवानें लगते हैं । भागवत पुराण में कृष्ण के अवतार के रूपमें बुद्ध को देखा गया है और शिव पुराण में कहा गया है :----- स्वर्ग और नरक की रचना करनें के बाद प्रभु नरक की जिम्मेदारी यमराज को दिया । जब काफी समय तक नरक में कोई न पहुंचा तो एक दिन यमराज प्रभु के दरबार में उपास्थित हुए और प्रार्थना की :---- प्रभु हमारे पास अभी तक कोई एक भी न आया और स्वर्ग लोक भरा पडा है , मैं अकेले वहाँ क्या करू ? प्रभु बोले , आप चिंता न करें , कलियुग में बुद्ध नाम से मैं आउंगा , लोग मुझे बुद्ध के रूप में पुजेगे और सभी नरक में जायेंगे और आप का नरक हमेशा भरा रहेगा , चिंता करनें की कोई बात नहीं है । आप नें देखा ! बुद्ध को प्रभु तुल्य भी बना दिया और --------- भारत से सांख्य का सफाया कर दिया गया लेकीन गीता का सफाया करना कठिन था जबकि गी...