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भूल हो गयी

भूल क्या है ? जब जो चाहा वह न हो सका ,तब, जब इस खंडित कामना में अहंकार की छाया कमजोर होती है , तब-- पता चलता है की भूल हो गयी । भूल होने का एह्शाश एक अवसर है जहाँ से यात्रा का रुख बदल सकता है , यदि आप अपनें भूल को मह्शूश कर रहे हैं तो इसको अपनें हाथों से सरकनें न देना । वह , घर के अंधेरे को दूर करना चाहता था------ वह, बार-बार मोमबत्ती जलाया करता था ------ लेकिन मोमबत्ती बार-बार क्यों और कैसे बुझ जाती थी , इसका उसे इल्म न था और जब उसे पता चला तो ---- काफी देर हो चुकी थी , काश उसे कुछ पहले पता चल गया होता -------यह हमारी दशा नहीं , सब की यही हालत है । मेरे एक अफ़्रीकी दोस्त अब से बीस वर्ष पहले अमेरिका से मेरे लिए तोफा के रूप में गीता ले आए थे , वे थे तो मुस्लिम लेकिन लाये गीता , वह गीता मेरे लिए प्रभु का प्रसाद था , लेकिन मैं चूक गया , मैं उसे दस वर्षो तक छुआ भी नहीं , काश यदि उसे अपनाया होता तो बात कुछ और होती , यहबात लगभग बीस वर्ष पुरानी है । अब मैं पिछले दस वर्षों से गीता --मात्र गीता पढ़ रहा हूँ और अपनें भूल पर टपकते आंशुओं को रोकनें में अपनें को असमर्थ देखता हूँ । गीता में प्रभु के...