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गीता-ज्ञान ....11

गीता श्लोक - 3.34 कहता है -------- बिषयों में राग-द्वेष होते हैं । यदि आप गीता के आधार पर कर्म-योग की साधना करना चाहते हैं तो इस सूत्र को आप अपनाइए । गीता गुणों के आधार पर मनुष्यों की तीन श्रेणी बताता है और गीता का यह सूत्र राजस श्रेणी के लोगों के लिए है । साधना में उतरनें से पहले यह जानना जरुरी है की साधक की स्थिति क्या है ? सात्विक गुणधारी का केन्द्र परमात्मा होता है ---यहाँ देखिये गीता-सूत्र 14.6, 14.9, 14.11, 14.14, 14.17, 14.18,14.22 राजस गुणों वाला ब्यक्ति भोग केंद्रित होता है और इस बात को समझनें के लिए देखिये गीता-सूत्र.......... 14.7, 9.12, 9.15-9.18, 9.22 तामस गुण -प्रभावित ब्यक्ति का केन्द्र मोह होता है जिसके सम्बन्ध में गीता सूत्र 2.52 कहता है ----- मोह के साथ बैराग्य नहीं मिलता । तामस गुण को गीता में समझनें के लिए देखिये गीता सूत्र-------- 14.8, 14.9, 14.15- 14.18, 14.22 अब गुणों के प्रभाव को समझते हैं ------- एक युवती है जिसको तीन लोग देख रहे हैं ...एक उसकी सुन्दरता में परमात्मा को देख रहा है , दूसरा उसमें राग को देखता है और तीसरा उस से भयभीत होता है --यह है गुणों के प्रभ