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भागवत स्कन्ध तीन ध्यान - सूत्र

Title :भागवत स्कन्ध तीन ( ध्यानसुत्र ) Content: भागवत स्कन्ध - 03 (ध्यानसुत्र) 1- द्रष्टा - दृश्य का अनुसंधान - उर्जा का नाम माया है 2- संसार में दो प्रकार के लोग सुखी हैं - एक बुद्धिहीन और एक स्थिर बुद्धि ब्यक्ति 3- अनात्म पदार्थ हसीन नहीं हैं जैसा प्रतीत होते हैं 4- बिषयों का रूपांतरण काल का आकार है 5- काल प्रभु की चाल है ( 2.1.33 ) 6- ब्रह्म काल चक्र के घुमने की धुरी है 7- विद्या , दान , तप , सत्य धर्म के चार पद हैं 8- बंधन - मोक्ष का कारण मन है 9- ज्ञान मोक्ष का द्वार है 10- भक्ति , वैराग्य , मन की एकाग्रता से ज्ञान प्रकट होता है और ज्ञान से देह में स्थित क्षेत्रज्ञ का बोध होता है 11- जैसे जल से रस पृथ्वी से गंध को अलग करना संभव नहीं वैसे प्रकृति से पुरुष को अलग करना संभव नहीं 12- असुर प्रभु के तामस भक्त हैं जो प्रभु को अपनें मन में  द्वेष के कारण धारण किये रहते हैं ~~~ ॐ ~~~