तंत्र और योग ---11
मणिपुर या नाभि चक्र [ Navel Centre ] नाभि के माध्यम से गर्भ का शिशु अपनी माँ से जुड़ा होता है , वह माँ की सभी संबेदनाओं को ग्रहण करता है और माँ से भोजन भी नाभिसे ग्रहण करता है । आप कभी अपने नाभि को उस समय देखा है जब आप पूरी तरह से भय में होते हैं ? यदि नहीं तो जब भी मौका मिले देखना । भय में , मोह में , नाभी सक्रिय हो उठती है और उस ब्यक्ति का शरीर भी कपनें लगता है । श्री कृष्ण से अर्जुन जो बातें बताये हैं [ गीता - 1.26 - 1.30 तक ] , उन बातों से श्री कृष्ण को मालूम हो जाता है की अर्जुन मोह में हैं -- आप भी इन श्लोकों को देखें तो अच्छा होगा । शरीर में कम्पन , गले का सूखना , त्वचा में जलन का होना और मन में भ्रम का बने रहना , मोह की निशानी है । गीता का जन्म अर्जुन के मोह के लिए हुआ है , गीता मोह की वह औषधि देता है जो मोह को जड़ से निकाल देती है । गीता में तामस गुण और तंत्र में नाभि चक्र को समझनें के लिए आप गीता के निम्न सूत्रों को देखें ------- 14.8 - 14.10 , 14.12 , 14.17 , 2.52 , 18.72 - 18.73 , 7.27 , 13.7 - 13.11 गीता के ये सूत्र ------- अज्ञान से ज्ञान , भोग से बैराग्य एवं ग...