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गीता अमृत - 50

निर्वस्त्र पृथ्वी रो रही है सन्दर्भ गीता श्लोक - 7.4 - 7.6, 13.5 - 13.6, 14.3 - 14.4 पृथ्वी , जल , अग्नि , वायु एवं आकाश - इन पांच तत्वों को पञ्च महा भूत कहते हैं । पञ्च महाभूत जीव निर्माण के मूल तत्त्व हैं । जब तक पृथ्वी या पृथ्वी जैसी परिस्थिति न हो तब तक जल एवं वायु का होना संभव नहीं है । जल - हाईड्रोजेन एवं आक्सिजेंन का योग है और विज्ञान में हाईड्रोजेन वह आदि [ Primeval Atom ] एटम है जिस से ब्रहमांड की रचना प्रारम्भ हुई थी । अब से लगभग 4.5 billion वर्ष पूर्व पृथ्वी एक आग के गोले के रूप में प्रकट हुई थी और लगभग 800 million वर्ष पूर्व में आकर वर्तमान रूप में आई और तब से अपने शरीर को ढकनें में लगी है । पृथ्वी और चाँद का गहरा आपसी सम्बन्ध है । पृथ्वी सूर्य के चारों तरफ तीस किलो मीटर प्रति सेकेंड की चाल से घूम रही है और इसकी चाल का नियंत्रण , चाँद करता है । जैसे - जैसे विज्ञान अपना पंख फैला रहा है वैसे - वैसे पृथ्वी का संकट सघन होता जा रहा है । विज्ञान से यदि सबसे अधिक नुक्सान किसी को हुआ है तो वह है प्रकृति की माँ - पृथ्वी । पिछले लगभग चार सौ वर्षों में पृथ्वी को गंजा बना दिया गया , प