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Showing posts with the label अपनी - अपनी यात्रा को गीता कसौटी पर परखते रहें

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गीता में अर्जुन का पहला प्रश्न है [ गीता श्लोक - 2.54 ] स्थिर प्रज्ञयोगी की पहचान क्या है ? और दूसरा प्रश्न है [ गीता श्लोक - 14.21 ] गुणातीत - योगी की पहचान क्या है और कोई कैसे गुणातीत बन सकता है ? पहले प्रश्न के सन्दर्भ में प्रभु अध्याय - 02 में चौदह श्लोकों के माध्यम से स्थिर प्रज्ञ को स्पष्ट करते हैं और दुसरे प्रश्न के सन्दर्भ में प्रभु 50 श्लोकों को बोलते हैं [ 14.22 से 16.24 तक ] आइये ! मैं आप को इन दो प्रश्नों के सन्दर्भ में प्रभु द्वारा बोले गए 64 श्लोकों के सारांश को दिखाता हूँ ॥ भोग से योग में उतरना ------ योग में स्थिर प्रज्ञता में बसेरा करना ---- धीरे - धीरे यहाँ से बैराग्य की जड को मजबूत करना ---- और तब वह योगी का बैराग्य - अवस्था में उस आयाम में प्रवेश करता है ....... जो आयाम है ---- गुणातीत का ॥ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में ..... प्रभु एक मात्र गुणातीत है और .... गुणातीत - गीता योगी पल - दो पल में ही ... परम गति में प्रवेश पा जाता है ॥ क्या आप हैं तैयार , इस यात्रा के लिए ? आज इतना ही .... आज प्रभु श्री कृष्ण आप को सत - बुद्धि में स्थिर रखें ॥ ==== ॐ ====