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गीता मर्म - 32

अर्जुन के दर्द की दवा का नाम गीता है ------ अर्जुन अपनें सारथी श्री कृष्ण से कहते हैं ........ आप रथ को दोनों ओर की सेनाओं के मध्य ले चलें , मैं देखना चाहता हूँ की ----- कौन से लोग मेरी ओर से लडनें के लिए आये हैं और कौन से लोग मेरे बिपरीत हैं , अर्जुन की यह बात उसके अन्दर उठ रही दर्द की लहर है जो शब्दों के माध्यम से बाहर निकल रही है । प्रभु श्री कृष्ण को सब मालूम है , वे एक पल भी नहीं गवाना चाहते , तुरंत रथ को सही जगह ले जा कर खडा करते हैं । अर्जुन को किसको देखना था , वहाँ कौन पराया था , थे तो सभी अपनें ही , क्योंकि युद्ध एक घर के दो परिवारों में होने को है , सभी रिश्ते - नाते दार दोनों पक्ष के ही तो हैं । युद्ध में भाग लेनें वालों में ....... अति बुजुर्ग लोग हैं मध्य उम्र के लोग हैं गुरुजन हैं और ऐसे युवा बच्चे भी हैं जिनका अभी हाल में विवाह हुआ है । अर्जुन अपनें सूत्र -1.28 - 1.30 तक में जो छः बातें कही है जैसे ...... मेरा गला सूख रहा है शरीर में कम्पन हो रहा है त्वचा में जलन हो रही है , आदि , ये सब भय - मोह की पहचान हैं । श्री कृष्ण एक सिद्ध योगी के रूप में अर्जुन की भाव दशा को पहच...