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गीता मर्म - 29

गीता मार्ग और हम भारत में शायद ही कोई ऐसा दार्शनिक हुआ हो जो गीता पर अपना मत न ब्यक्त किया हो । लोग गीता - उपनिषद् को क्यों चुनते हैं , अपनें प्रवचन के लिए ? जो लोग गीता राह पर अपनें जीवन को नहीं देखते , वे गीता पर बोलते हैं ; बात तो है कडुई पर है सत्य । आदि गुरु शंकाराचार्य से ओशो तक के जीवन को देखिये , और उनके द्वारा गीता पर बोली गयी बातों को देखिये , दोनों की दिशाएँ एक दूसरी के बिपरीत हैं , लेकीन गीता पर ये लोग जो बोले हैं , वह लोगों को आकर्षित जरुर करता है । आदि गुरु शंकाराचार्य अपनें बीस - पच्चीस वर्ष के कार्य जीवन में अद्वैत्य की लहर फैलाते रहे और बदरीनाथ - केदार नाथ जैसे मंदिरों की स्थापना भी करते रहे । उत्तर भारत के मंदिरों में दक्षिण भारतीय ब्राह्मण का कब्जा , आदि शंकराचार्य के समय में प्रारम्भ हुआ । नेपाल में पशुपति नाथ मंदिर में आज भी दक्षिण भारतीय नम्बुदरीपाद ब्राह्मण मुख्य पुजारी हैं । केरल से केदारनाथ तक नारियल कैसे पहुंचा , उस समय तो यातायात के साधन भी न केबराबर ही थे । यदि नारियल वहाँ पहाड़ पर न पहुंचता तो वहाँ के पुजारी नारियल की चटनी कैसे बनाते ? शंकाराचार्य जी बुद्