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गीता श्लोक - 6.1

●● गीता श्लोक - 6.1 ●● अनाश्रितः कर्मफलं कार्यं कर्म करोति यः सः संन्यासी च योगिः ................ " कर्मफल आश्रय रहित कर्म जो कर रहा है वह संन्यासी और योगी है " ** अर्जुन अध्याय - 5 के प्रारम्भ में...