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गीता मर्म - 17

हमारा भ्रमित जीवन कभीं मंदिर जा कर देखना , यदि न जाते हो तो , वहाँ जानें वालों की लम्बी - लम्बी कतारें आप को मिलेंगी । मंदिर के अन्दर जो लोग प्रवेश करते हैं उनके जेब में कुछ धन होता है और हांथों में प्रसाद के नाम पर कुछ फल -फूल भी हो सकता है । मंदिर में प्रवेश पानें वालों की कतारों में अधिकाँश लोग ऐसे हैं जो धन से संपन्न होते हैं । मंदिर के बाहर भी लोगों की कतारें होती हैं जिनको मंदिर में जाना नहीं होता , उनको परमात्मा से कुछ लेना देना नही होता , उनकी नज़र मंदिर से बाहर आनें वालों पर होती हैं , इस उम्मीद पर की शायद कुछ उनसे मिल जाए । मंदिर के अन्दर जो जा रहे हैं उनकी भी अपनी - अपनी मांगे हैं और बाहर जो कतारें लगाए है , वे तो हैं ही भीखारी । प्रभु के बारे में सुननें वालों की संख्या बहुत है लेकीन ----- प्रभु के पास जानें को उनमें से कितनें तैयार हैं ? सभी शास्त्र मोक्ष का मार्ग दिखाते हैं , मंदिरों में प्रवचन देनें वाले भी मोक्ष प्राप्ति का उपाय बताते हैं , लेकीन मोक्ष पानें के लिए मरना पड़ता है और मरनें के नाम पर लोगों की टाँगे कापनें लगाती है , फिर प्रवचन क्यों सुननें जाते हैं ? आदमी ए