Posts

Showing posts with the label प्रश्न-११

अर्जुन का प्रश्न - 11

अर्जुन पूछते हैं [गीता श्लोक ..11.31 ]---कृपया बताएं की उग्र रूप वाले आप कौन हैं ? अध्याय 2 से 9 तक गीता के 325 श्लोकों में अर्जुन के 18 श्लोक हैं तथा इन आठ अध्यायों में आठ प्रश्न हैं लेकिन आगे अध्याय 10 से 12 तक में इनके गीता के कुल 97 श्लोकों में से 59 श्लोक हैं एवं सात प्रश्न हैं -- यह बात सोचनें लायक है ....आप सोचिये और अर्जुन की ब्याकुलता को समझिये । अर्जुन का अगला प्रश्न गीता-श्लोक 11.45 से है अतः यहाँ हम 11.32 से 11.44 तक के श्लोकों को देखेंगे , जिनमे तीन श्लोक श्री कृष्ण के हैं , एक श्लोक संजय का है और नौ श्लोक अर्जुन के हैं । श्री कृष्ण कहते हैं-------- उग्र रूप में मैं इस समय महा काल हूँ जो सभी लोकों का विनाश करता है । मैं प्रति पक्षी सेना के लोगों को मार चुका हूँ , तूं इन मुर्दा लोगों को मार कर अपना नाम कमा , तूं भय रहित हो कर युद्ध कर । तू निमित्त मात्र बनजा ये लोग तो पहले ही मारे जा चुके हैं । अर्जुन कहते हैं ---आप सत-असत से परे हैं , ब्रह्मा के भी आदि करता हैं । गीता में [गीता श्लोक 9.19,13.12] में श्री कृष्ण कहते है --मैं अमृत- मृत्यु ,सत - असत हूँ और न सत हूँ न अस...