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गीता एक सन्देश है

^ भागवत में ( भागवत : 1.4 ) कहा गया है कि एक दिन व्यास जी सरस्वती के तट पर स्थित अपनें आश्रम पर सुबह -सुबह किसी गहरी चिंता में डूबे हुए थे । नारदजीका आगमन हुआ और नारद जी व्यास जी को सलाह देते हुए कहते हैं ,मैं आपकी चिंताका कारण समझ रहा हूँ । आप प्रभु श्री कृष्ण की लीलाओं का ऐसा वर्णन करे जो लोगों को भक्ति माध्यम से प्रभुमय बनानें में सक्षम हो । ^^ व्यासजी नारदजी की बात को समझ गए और भागवत की रचना हेतु समाधि -योग माध्यममें पहुँच गए । जब 18000 श्लोकों का भागवत पूरा हुआ तब वेदव्यास जी सबसे पहले अपनें 16 वर्ष से कुछ कम उम्र के पुत्र श्री शुकदेव जी को सुनाया ।भागवत पुराण 18 पुराणों में से एक है ।महाभारत की कथा व्यास जी भागवत से पहले लिखी थी जिसमें गीता महाभारतके भीष्म पर्व के अंतर्गत अध्याय 6.25 - 6.6.42 के मध्य है । * भागवत को भक्ति रस का समुद्र समझ जाता है और गीता सांख्य -योग के आधार पर कर्म माध्यम से भक्ति में और भक्ति से वैराग्य में तथा वैराग्य में ज्ञान माध्यम से तत्त्व -ज्ञानी के रूप में आवागमन से मुक्त होनें का एक वैज्ञानिक मार्ग दिखाता है । ** पहली बात : भक्ति केलिए सीधा कोई मार