Posts

Showing posts with the label वर्तमान

हमारा वर्तमान

हमारा वर्तमान दो खूटियों पर लटक रहा है और ऐसे की स्थिति तनाव मुक्त कैसे रह सकती है ? दो खूटियाँ क्या हैं ? गीता कहता है ----कामना - मोह अज्ञान की जननीं हैं और करता भाव अहंकार की छाया है ....देखिये गीता सूत्र -- 7.20, 18.72, 18..73 और 3.27 राजस-तामस गुणों का योग एवं अहंकार --ये दो खूटियाँ हैं जो मनुष्य के वर्तमान को लटका कर रखती हैं । मनुष्य का भूत कब और कैसे गुजर जाता है , पता नहीं लग पाता वर्तमान में जब आँखें खुलती हैं तब तक दो खूटियों की तरंगे इन्द्रियों से बुद्धि तक भर चुकी होती हैं और मनुष्य अज्ञान में वही करता है जो भूत में कर रहा होता है । सम्मोहित मनुष्य जिसके ऊपर राजस-तामस गुणों एवं अहंकार का सम्मोहन होता है , वह सोचता है ------ मैं दुनिया में सबसे ऊँचा ब्यक्ति हूँ , परमं ज्ञानी हूँ , लोग मेरे इशारों पर चलते हैं और ऐसा ब्यक्ति स्वयं अपनीं पीठ रह - रह कर ठोकता रहता है । अज्ञान से भरा वर्तमान जिसके कण-कण से अहंकार एवं गुणों की बूंदे टपक रही हों , वह तनाव मुक्त कैसे हो सकता है ? अब देखते हैं वर्तमान की एक झलक ---------------------- [क] आज हम जिनके लिए संसार में इतना ब्यस्त हैं क...