सांख्य कारिका : 11 , 12 , 13 के सार कारिका : 14

 💐 कारिका : 11 , 12 और 13 को हम पिछले अंक में तीन स्लाइड्स के माध्यम से देख चुके हैं लेकिन स्मृति में उन्हें बनाये रखने हेतु एक स्लाइड में इन तीन कारिकाओं के सार को यहाँ दिया जा रहा है जो निम्न प्रकार है 👇

💐 कारिका : 3 में मूूल प्रकृति के सम्बन्ध में बताया गया है और पुरुष ऊर्जा के प्रभाव में जब वह विकृति होती है तब 23 तत्त्वों की उत्पत्ति होती है , उसे भी बताया गया है । 

👌 मूल प्रकृति तीन गुणों का एक माध्यम है जिसे वेदान्त में माया कहते हैं । 

👌 अब कारिका - 14 को निम्न स्लाइड में देखें जहाँ मूल प्रकृति और विकृत प्रकृति से उत्पन्न 23 तत्त्वों के संम्बंध में बताया जा रहा है। कार्य उसे कहते है जो पैदा होता है और कारण पैदा करने वाले तत्त्व को कहते हैं । अब देखिये कारिका : 14 को 👇


💐 अभीं तक कारिका 3 से कारिका - 14 तक में सांख्य के मूल तत्त्व - प्रकृति , पुरुष और तीन गुणों के सम्बन्ध में देखा गया और आगे भी इन्हीं तत्त्वों के सम्बन्ध में देखा जाएगा ।

💐याद रखना होगा कि सांख्य सिद्धान्त गणित के सिद्धांत जैसे हैं जिनमें वही तैर सकता है जिसकी बुद्धि निर्मल और पूर्ण सक्रीय हो और सोच की गहराई में उतरने में सक्षम हो ।

💐 जबतक सांख्य की कारिकाएँ बुद्धि में नहीं  बसती , तबतक भारतीय दर्शनों का आनंद लेना संभव नहीं । 

।। ॐ ।।

Comments

Popular posts from this blog

क्या सिद्ध योगी को खोजना पड़ता है ?

पराभक्ति एक माध्यम है

गीतामें स्वर्ग,यज्ञ, कर्म सम्बन्ध