सांख्य दर्शन में क्या है ?

 


72 सांख्य कारिकाओं का सार 

कारिकाएँ

बिषय

योग

1 - 2

दुःख 

02

3

17 - 23


◆ प्रकृति - पुरुष संयोग  ◆ 23 तत्त्वों की उत्पत्ति

● 17 - 20 > पुरुष

● 21 - 22 > प्रकृति के 23 तत्त्व

● 23👇

> बुद्धि के सात्त्विक - तामस रूप

04 सात्त्विक रूप 

धर्म , ज्ञान , वैराग्य , ऐश्वर्य

 04 तामस रूप 

अधर्म , अज्ञान , अवैराग्य , अनैश्वर 

ऊपर के ये 08 तत्त्व भाव हैं ; यहां देखें कारिका : 40 , 44 , 45

08 भाव 

● धर्म - अधर्म , 

● ज्ञान - अज्ञान 

● वैराग्य - राग 

● ऐश्वर्य - अनैश्वर्य 

<> ज्ञान को छोड़ शेष प्रकृति के बंधन हैं 

08

4 - 6

प्रमाण 

03

7 - 8

08 कारणों से प्रकृति - पुरुष का प्रत्यक्ष ज्ञान संभव नहीं

02

9 - 16

17 - 23 ऊपर नंबर 2 में दिया गया है 

कार्य - कारण , व्यक्त - अव्यक्त , गुणों की वृत्तियाँ

08

24 - 37

अहंकार , इन्द्रियाँ , करण , तन्मात्र , महाभूब

14

38 - 42

विशेष , अविशेष , लिङ्ग शरीर

05

43 - 45

धर्म , ज्ञान , वैराग्य  और ऐश्वर्य 04 प्रकार के भाव 03 प्रकार से मिलते हैं ; 

1 - सांसिद्धिक ( जन्म से )

2 - प्राकृतिक ( स्वयं प्रकृति से )

3 - वैकृतिक ( गुरु द्वारा )

03

46 - 51

50 प्रकार की बुद्धि 

06

52 - 54

लिङ्ग सृष्टि ( भौतिक सर्ग ) 

03

55 - 68

पुरुष , प्रकृति , प्रकृति और उसके 23 तत्त्व पुरुष मोक्ष के साधन हैं । प्रकृति का पुनर्जन्म होता है , पुरुष का नहीं , प्रकृति को ज्ञान की प्राप्ति , पुरुष को मोक्ष 

14

69 - 72

सांख्य दर्शन का विकास 

04

72 करिकाएँ ☝

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