गीता की दो बूदें और ------




गीता तत्त्व विज्ञान में हम यहाँ एक सौ सोलह सूत्रों को एक - एक कर के देख रहे हैं ।
इस कड़ी के अंतर्गत कुछ और गीता ज्ञान - सूत्रों को देखते हैं -----

[क]
वीत राग भय क्रोधा :
मत - मया मां उपाश्रिता ।
वहव: ज्ञान तपसा

पूता : मत भावं आगता ॥
सूत्र - 4.10
राग - भय क्रोध से आगे एक कदम और रखनें वाला ज्ञान में होता है
और ज्ञान वह माध्याम है जिसमें प्रभु निराकार नहीं रह पाता, स्पष्ट दिखता रहता है ॥
not far away , just beyond one step from passion fer and anger is a gyaan medium
[ wisdom medium ] where His abode is and for a man of wisdom HE does not remain
invisible .

[ख]
सुखेषु अनुद्विग्र - मना
सुखेषु विगत स्पृहा :
स्थिति धी : मुनि उच्येत ॥
सूत्र 2.56

राग , भय क्रोध से अप्रभावित , मुनि होता है
जो
बुद्धि में स्थिर होता है ॥
He who is settled in intelligence is always unaffected by ----
passion ....
fear ......
and anger
AND
such saint is always beyond all dualities

गीता की दो अमृत - बूदें , देखते हैं ----
आप को कहाँ से कहाँ ले जाती हैं ॥

==== ॐ ======

Comments

Shyam Aneja said…
Limitations of desires and hoardings of materials and property can arrange inner contententment and peace for which every one is in search Aneja

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