जोड़

जोड़ क्या है ?

[क] ईंट के ऊपर ईंट रख कर बनाई गई दिवार कब तक खड़ी रहेगी ?
[ख] प्यार - प्यार का सम्बन्ध कब तक रहेगा ?
[ग] बासना - बासना का सम्बन्ध कब तक रहेगा ?
[घ] बासना और प्यार का सम्बन्ध कब तक का होता है ?

आप इस प्रश्नों में अपनें को खोजे । दो को जोडनें वाला कोई तीसरा होता है जिसको समझना कुछ कठिन तो है
लेकीन असंभव नहीं है ।
कौन सा जोड़ खुलता है ?
[क] वासना - वासना का जोड़ खुलता है । इस बात को समझनें की जरुरत है ---
कहते हैं ....आत्मा शरीर को छोड़ता है लेकीन ऐसी बात नहीं है , देह आत्मा को धारण करनें में असमर्थता दिखाता
है और जब देह जबाब देता है तब आत्मा से देह अलग हो जाता है । आत्मा कहाँ जाएगा ? यह तो परमात्मा है जो
सनातन है , जो सर्वत्र है फिर यह कहाँ जाएगा ?
आत्मा को देह में तीन गुण रोक कर रखते हैं [ गीता - 14.5 ] और जब यह जोड़ टूटता है तब देह आत्मा से अलग हो जाता है । देह और आत्मा का जोड़ जो हम हैं वह सविकार एवं निर्विकार का योग है जिसमें जोड़ का माध्यम तीन गुण हैं जो विकारों की जननी हैं तथा जो परमात्मा से हैं ।
प्यार - प्यार का जोड़ कभी नहीं खुलता । प्यार- प्यार का जोड़ सनातन है और प्यार - वासना का जोड़
समायाधीन है , यह आज नहीं तो कल खुलनें ही वाला है ।
यदि आप किसी से अलग हुए हैं तो देखनें की कोशिश करना की आप दोनों का जोड़ क्या था ?
जब तक प्यार - प्यार से मिला होता है तब तक दो नहीं एक ही दिखता है । जब एक तरफ प्यार वासना में बदल जाता है तब यह जोड़ खुल जाता है ।
प्यार आत्मा का ही दूसरा नाम है , यह भी ह्रदय में निवास करता है लेकीन जब यह सविकार मन-बुद्धि में
पहुंचता है तब इसके ऊपर विकार की चादर चढ़ जाती है ।

प्यार का खिचाव सनातन है और वासना का समयाधीन ।

====ॐ=====

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