तंत्र और योग ---14

अजाना या आज्ञा चक्र [ Third Eye Centre ]

आज्ञा चक्र की तुलना काशीसे करते हैं जिसको शिव के त्रिशूल पर बसी हुयी नगरी भी कहते हैं ।
काशी विद्या का केंद्र था , है , और रहेगा - ऐसी सोच कोई भ्रान्ति नहीं है ।
आज्ञा चक्र वह खिड़की है जिस से परमधाम दीखता है जो स्वप्रकाषित है । आज्ञा चक्र के रहस्य को समझनें के लिए आप कुछ लोगों के जीवन को देखें तो अच्छा रहेगा ।
[क] श्रीनिवास रामानुजन ऐयांगार [1887 - 1920 ]
मद्रास में एक पंडित घर में जन्में रामानुज मुश्किल से मैट्रिक तक पढ़ पाए थे लेकीन अंक विज्ञानं में विश्व में पहले स्थान पर थे । प्रोफ़ेसर हार्डी , रामानुजन को कम्ब्रिज विश्व विद्यालय में अपनें पास रखा, कारन यह था की रामानुजन एक असाधारण प्रतिभा वाले ब्यक्ति थे जिनकी प्रतिभा की तुलना में हार्डी की प्रतिभा दस प्रतिशत थी , यह बात मैं नहीं , स्वयं हार्डी कहते हैं । हार्डी- रामानुज नंबर है 1729 जिसको numerology में कौन नहीं जानता , यह नंबर हार्डी के कार का था जिसको हार्डी अच्छा नंबर नहीं मानते थे लेकीन यह बात हार्डी जब रामानुजन से की तो रामानुजन तुरंत बोले , यह नंबर तो अद्भुत नंबर है क्योंकि -----
1729 = [1] का क्यूब + [12] का क्यूब = [9] का क्यूब + [10] का क्यूब
रामानुजन तो नही रहे लेकीन हार्डी के वैज्ञानिकों को इस राज को खोजनें में दस वर्ष से भी अधिक समय लगा ।
रामानुजन और एडगर कायसी जब कोई प्रश्न सुनते थे तो उन लोगों की पुतलियां ऊपर चढ़ जाती थी और वे जो बोलते थे वह वह होता था जो सत्य होता था ।

तीसरी आँख का वैज्ञानिक आधार तो कोई नहीं है लेकीन शिव को उनके तीसरी आँख से जाना जाता है और तंत्र
एवं योग में आखिरी चरण लगभग तीसरी आँख या आज्ञा चक्र से सम्बंधित है ।
तीसरी आँख से साधक सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का द्रष्टा बन जाता है ।

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