तंत्र और योग --15

सहस्त्रार चक्र

सहस्त्रार चक्र उस स्थान के चारों तरफ होता है जहां ब्राहमण लोग चोटी रखते हैं ।
इस चक्र की तुलना द्वारिका तीर्थ से करते हैं , अब आप देखें एक जीव वैज्ञानिक की बाते , जिनको नोबेल पुरष्कार मिल चुका है -----

John Eccles an austrailian nobel prize winner in neuro science in 1963 says --- Consciousness is an extra cerebral located within the human skull where orthodox hindus keep there crest .
This is the area where fusion of consciousness takes place with the physical brain and this area is konwn as supplementary motor area .
consciousness servives even after the death of the physical brain .

इस जीव वैज्ञानिक की बातें ऐसी हैं जैसे यह वैज्ञानिक नहीं गीता-योगी है । सहस्त्रार को द्वारिका क्यों कहते हैं ? द्वारिका शब्द द्वार से बना है , वह द्वार जहां से एक तरफ भोग संसार दीखता है और दूसरी ओर परम का आयाम जो अरब सागर की लहरों में गूंजते ॐ के माध्यम से देखा जा सकता है । आज जो द्वारिका है वह वह सातवीं द्वारिका है , इसके पहले छः द्वारिका समुद्र में समा चुके हैं । कनाडा के प्रशिद्ध वैज्ञानिक कृष्णा मूर्ति कहते हैं ----संन 2060 तक यह द्वारिका भी समुद्र में बिलीन होनें वाला है ।

श्री राम जब रावण से युद्ध करनें लंका जा रहे थे तो समुद्र उनकी मदद किया , राम आंशिक अवतार मानें जाते हैं और द्वारिका जहां पूर्णावतार श्री कृष्ण थे उस द्वरिका को समुन्दर बार-बार समाप्त कर देता है , ऐसा क्यों ?

गीता श्लोक 10.24 में श्री कृष्ण कहते हैं ---सागर , मैं हूँ --अर्थात श्री कृष्ण स्वयं अपनें द्वारा बसाये गए द्वारिका को समाप्त करते हैं , ऐसा क्यों ? इस बात पर आप सोच सकते हैं ।

स्थिरप्रज्ञा वाला सिद्ध - योगी और गुनातीत - योगी होश मय सहस्त्रार से अपने प्राण को छोड़ता है ।

=====ॐ=======


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