इतना गहरा भय और .......



प्रभु से इतना गहरा भय है लेकीन -----
हम प्रति दिन मंदिर जाते हैं , क्या कारन हो सकता है ?

कहते हैं ------

शुद्ध प्यार में प्रभु का बसेरा होता है लेकीन ......
कौन जानना चाहता है की ......
शुद्ध प्यार है क्या ?

दैनिक जीवन में हमारी उसकी ओर पीठ होती है , जिस से हम भयभीत रहते हैं और ......
इस स्थिति में प्रभु को हम कैसे देख सकते हैं ?

हम प्रभु से क्यों इतना भयभीत हैं ? -----
[क] क्या प्रभु मंदिर की मूरत के रूप में हमसे कुछ कहता है
और हम उसको करनें में सफल नहीं होते ?
[ख] मंदिर जाते समय यदि मार्ग में कोई मिलता है
और उसके साथ गप्प लगानें में हमारा
पंद्रह मिनट लगता है तो मंदिर के अन्दर
ज्यादा से ज्यादा हम पांच मिनट से अधिक नहीं
रुक पाते - ऐसा क्यों ?
मूरत के सामनें खडा होते ही हमारी आँखे बंद क्यों हो जाती हैं ?
भय उसे होती है -----
जो अपनें गलती को समझता है .....
जो कुछ प्राप्त करनें के लिए गलत मार्ग चुनता है , और ----
जब प्रभु की मूरत के सामनें हम खड़े होते हैं ......
तब सच्चाई का सामना हम कर नहीं पाते और भय में .....
बाहर भागते हैं ॥

अगले अंक में देखते हैं ----
शुद्ध प्यार क्या है ?

==== ॐ =====

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