अहंकार - गीता सूत्र

गीता के चार सूत्र यहाँ दिए जा रहे हैं
जिनका सीधा सम्बन्ध अहंकार से है ॥

गीता सूत्र - 18.24
अहंकार की ऊर्जा जिस कर्म में हो , वह राजस कर्म होता है ॥

गीता सूत्र - 18.17
जो अहंकार रहित है , वह अपनें इन्द्रियों , मन एवं बुद्धि का गुलाम नहीं होता ॥

गीता सूत्र - 2.71
अहंकार , ममता , कामना और इन्द्रिय - सुख से अनासक्त जो है , वह है - स्थिर - प्रज्ञ ॥

गीता सूत्र - 3.27
करता भाव , अहंकार का प्रतिबिम्ब है ॥

आप इन सूत्रों को गीताप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित गीता में देखें और इनको अपनें जीवन में
देखनें की कोशिश करते रहें ॥
गीता परिधि से केंद्र की यात्रा है जहां .....
एक दिन -----
न इन्द्रियाँ गुमराह करेंगी
न मन भांग पिलाएगा
न बुद्धि संदेह के पिजड़े में पहुंचाएगी
न अहंकार का अता - पता होगा
और जिसका पता मह्शूश होगा ,
वह हम सब के साथ ही है , बश- ऊपर चढ़े चादर को उठाना भर है ॥
===== ॐ ====

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