यजुर्वेद जिज्ञासा

 


यजुर्वेद जिज्ञासा 

◆यजुर्वेद की उत्पत्ति कुरुक्षेत्र है और ऋग्वेदकी सप्त सिंधु ।

● यजुर्वेद में ऋग्वेद के 663 मंत्र हैं ।

यज्ञ की सरल प्रक्रिया के लिए गद्य - पद्य दोनों में मंत्र हैं।

● यजुर्वेदीय गद्य मन्त्रों को यजुष कहते हैं ।

● अधिकांश यजुर्वेदीय पद्यात्मक मंत्र ऋग्वेद और अथर्ववेद के हैं । 

उत्तर भारत का शुक्ल यजुर्वेद और दक्षिण भारत का कृष्ण यजुर्वेद है ।

● यजुष के नाम पर यजुर्वेद नाम है ।

यज् का अर्थ है , समर्पण ।

★ पदार्थ जैसे घी , ईंधन , और कर्म (सेवा +तरपन आदि ) श्राद्ध , योग , इन्द्रिय निग्रह आदि का अग्नि में यजन ( समर्पण ) किया जाता है ।

★ यजुर्वेद यज्ञ - हवन के सारे नियमों का संग्रह है ।

यजुर्वेद आर्यों के सामाजिक और धार्मिक जीवन पर प्रकाश डालता है ।

यजुर्वेद वर्ण व्यवस्था  वर्णाश्रम के संबंध में भी प्रकाश डालता है ।

यजुर्वेद में अग्नि होत्र , अश्वमेघ , वाजपेय , सोमयज्ञ ,

राजसूय , अग्निचयन , आदि के बारे में बताया गया है ।

// ॐ //

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