कर्म और गीता

 ●ऐसा कौन जीवित प्राणी है जो कर्म नहीं करता ?

◆ऐसे कितने हैं जो यह समझते हैं कि कर्म वे नहीं कर रहे अपितु जो वे कर रहे हैं , उसे कोई और करवा रहा है ?

●और कर्म करता हम नहीं , हमारे अंदर हरपल बदल रहा गुण समीकरण है जो हमसे हठात् कर्म करवाता है , इस बात को कितने लोग समझते हैं ?

★आप सोच रहे हैं कि यह क्या कह रहा है , लेकिन यह मैं नहीं गीता में प्रभु श्री कृष्ण कह रहे हैं , और अब ⬇️



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