सांख्य कारिका - 2 दुःख निर्मूल करने का उपाय

 

★ऊपर दी गयी स्लाइड को ध्यान से देखें और अपनी बुद्धि में बैठाएं ।

<> दुःख से छुटकारा पाना कौन नहीं चाहता ! इसके लिए नानाप्रकार के उपाय भी उपलब्ध हैं जैसे वैदिक उपचार में यज्ञ आदि करना , देवताओं का वैदिक व्यवस्था के अनुसार पूजन करना , औषधियों का प्रयोग करना , तांत्रिक उपचार करना आदि - आदि । 

◆ सांख्ययोग कहता है , ये सारे उपाय अस्थाई रूप में दुःख निवारण करते हैं और समय - समय पर ये दुःख बार - बार पुनः पुनः लौट कर आते रहते हैं ।

# दुःखों को निर्मूल ( जड़ से समाप्त करने ) करने का केवल एक मात्र उपाय है - तत्त्व ज्ञान ।

<> क्या है , यह तत्त्व ज्ञान ? 

गीता श्लोक : 13.2 में प्रभु कहते हैं , " क्षेत्र - क्षेत्रज्ञ का बोध , ज्ञान है ; हमारा शरीर क्षेत्र है और इसका संचालक क्षेत्रज्ञ है।

गीता की इस बात को सांख्य इस प्रकार से कहता है , " प्रकृति - पुरुष का बोध - तत्त्व ज्ञान है । पुरुष , प्रकृति और प्रकृति के विकृत होने से उपजे 23 सर्ग सांख्य के मूल तत्त्व हैं ।

रमण महर्षि का मैं कौन हूँ , सांख्य का तत्त्व ज्ञान और वेदांत का ब्रह्म - माया बोध आदि सब एक के संबोधन हैं।

// ॐ //

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