गीता अमृत - 98

भोग - ऊर्जा

भोग - ऊर्जा क्या है ?
वह ऊर्जा जिससे .......
काम , कामना , क्रोध , लोभ , मोह , भय एवं आलस्य पैदा हो , भोग ऊर्जा है ।
भोग ऊर्जा को यदि ग्राफ पेपर पर उतारा जाए तो जो चित्र बनेगा वह साइन करब [ sign curve ] होगा ।
साइन करव में उतार - चढ़ाव बराबर - बराबर होते हैं और भोग - ऊर्जा में सुख - दुःख आवागमन भी कुछ
साइन करव की तरह ही होता है ।

भोग ऊर्जा में तू और मैं का गहरा सम्बन्ध होता है , अहंकार का प्रभाव भी गहरा ही होता है । भोग ऊर्जा में खोनें की गुंजाइश जब नज़र आती है तब क्रोध आता है और कामना टूटनें के साथ भी क्रोध ही पैदा होता है ।
भोग ऊर्जा में समर्पण दिखावे का होता है जो मोह के कारण होता है। भोग ऊर्जा अपना रंग बदलती रहती है ।
भोग ऊर्जा कभी - कभी योग ऊर्जा की तरह अपना रूप - रंग दिखाती है और ऐसा लगनें लगता है अमुक ब्यक्ति
स्वयं प्रभु का अवतार हो । आप सुनें होंगे - रावण सीता को हरने साधू के वेश में आया था ।
यह जानना की कौन सी ऊर्जा भोग ऊर्जा है और कौन सी ऊर्जा योग ऊर्जा है , अति कठिन काम है , यह बात
केवल उसे पता होती है या पता चल सकती है जो इस से प्रभावित होता है ।

===== एक प्रभु ======

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