बुद्धि योग गीता भाग - 02



श्रीमद भगवद्गीता क्या है ?

धर्म क्षेत्र कुरुक्षेत्र में कौरव - पांडव की सेनाओं के मध्य प्रभु श्री कृष्ण एवं उनके मित्र अर्जुन
के मध्य जो बांते
हुयी हैं उनसे जो कर्म - योग एवं ज्ञान - योग की गणित तैयार होती है , उसका नाम है ,
श्रीमद भगवद्गीता ।

Prof. Einstein Says -----
When I read Bhagwadgita and reflect about how God created universe, everything else seems
so superfluous .

गीता में कुल चार पात्र हैं ; प्रभु कृष्ण , अर्जुन , धृतराष्ट्र एवं संजय । प्रभु एवं अर्जुन के
मध्य जो बातें हो रही हैं उनको धृतराष्ट्र को सूना रहे हैं , संजय और संजय जो कहते हैं
वह आज हम सब को गीता के रूप में उपलब्ध है ।
यहाँ गीता में दो सुननें वाले हैं और दो ही सुनानें वाले । अर्जुन प्रभु के संग हैं , प्रभु उनके रथ के सारथी हैं
लेकीन श्री कृष्ण में ब्रह्म अर्जुन को नहीं दिख रहा पर संजय जो श्री कृष्ण से कुछ दूरी पर हैं उनको
साकार श्री कृष्ण में निराकार कृष्ण स्पष्ट रूप से दिख रहे हैं ।

प्रभु श्री कृष्ण अर्जुन को युद्ध पूर्व मूह रहित करनें के लिए सांख्य - योग का जो उपदेश दिया उसे अर्जुन
भ्रमित मन - बुद्धि से पकड़नें की कोशिश करते हैं , फल स्वरुप प्रभु की बातों में अर्जुन को प्रश्न ही प्रश्न
दीखते हैं । भ्रमित बुद्धि वाला किसी नतीजे पर नहीं पहुंचता और यही स्थिति अर्जुन की भी गीता में है ।

गीता में कुल सात सौ श्लोक हैं ; एक सौ तीन श्लोक अर्जुन के , एक श्लोक धृतराष्ट्र का , पांच सौ छप्पन श्लोक प्रभु श्री कृष्ण के और चालीश श्लोक हैं संजय के ।
गीता महाभारत का द्वार है , आप गीता के सन्दर्भ में महा भारत की कहानियों का सहारा न लें तो अच्छा रहेगा ।
महा भारत कहानियों पर आधारित है और गीता सांख्य - योग की गणित है । गणित और इतिहास को एक साथ
एक बुद्धि में रखना संभव भी नहीं हैं ।

गीता उनके लिए है -----

जो बुद्धि केन्द्रित हैं ....
जो तर्क - वितर्क के आधार पर बुद्धि को स्थिर करना चाहते हैं .......
जो स्थिर मन की आँखों से सत देखना चाहते हैं .......
और जो यह समझना चाहते हैं की ----
सत भावातीत कैसे है ?


==== ॐ =====

Comments

Popular posts from this blog

क्या सिद्ध योगी को खोजना पड़ता है ?

पराभक्ति एक माध्यम है

गीतामें स्वर्ग,यज्ञ, कर्म सम्बन्ध