गीता अमृत - 100

गीता सत का बीज बाटता है

वैयानिकों एवं इतिहास कारों की राय है की गीता का समय 5561 वर्ष इशापुर्व से 800 वर्ष इशापुर्व का रहा होगा ।
गीता के इतिहास में उलझनें से किसी सत की प्राप्ति करना संभव नहीं क्योंकि उलझन संदेह के कारन होती है ।
संदेह अज्ञान की छाया है और समर्पण में सत की छाया दिखती है । गीता हजारों सालों से सत का बीज बिखेर रहा है
लेकीन लेनें वाले कुछ कंजूस दीखते हैं ।

गीता हर हिन्दू परिवार में मिलता है लेकीन लोग इसको तब पढ़ते हैं जब घर में कोई आखिरी श्वास भर
रहा हो । लोगों का विचार है की गीता सुनते हुए मरनें वाले को स्वर्ग मिलता है । हिन्दू परिवार में शायद ही
कोई ऐसा ब्यक्ति मरता हो जिसको गंगा जल न पिलाया जाता हो और गीता न सुनाया जाता हो ।
वह जो मौत के भय से कोमा में है , जो मौत से लड़ रहा है, जो मरना नहीं चाहता और मौत उसे छोड़ना
नहीं चाहती , क्या गंगा - जल पी कर और गीता सुन कर स्वर्ग में जगह पा सकता है ?

गीता सुननें वाला क्या स्वर्ग में जाएगा या क्या परम धाम पायेगा ? यह कहना कठिन है लेकीन गीता की राह पर जो जिया हो उसे परमं धाम मिलता है, यह ध्रुव सत्य जरुर है । परम श्री कृष्ण के इतिहास को पढनें वाला परम धाम
प्राप्त करता है , यह कहना कुछ कठिन सा दिखता है लेकीन परम श्री कृष्ण के सांख्य - योग को अपनानें वाला परम धाम प्राप्त करता है - यह परम सत्य अवश्य है ।
गीता को पढ़ते हो ,उत्तम है ......
गीता को सुनते हो , यह भी उत्तम है ......
लेकीन गीता में बसते हो , यह प्रभु का प्रसाद है जप किसी किसी को मिलता है ।

===== ॐ ======

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