गायत्री क्रमशः

 गीता में प्रभु श्री कृष्ण कहते हैं , छंदों में गायत्री छन्द मैं हूँ ।

ऋग्वेद में सवितृ देवता के माध्यम से हर बदल रहे परमात्मा की स्तुति की गयी है ।

सूर्योदय के थीक पहले पूर्व दिशा के उस क्षेत्र में जहाँ पृथ्वी और आकाश एक दूसरे से मिलते से भाषते हैं , हर पल बदल रहा आभा मण्डल को सवितृ देवता के रूप में ऋग्वेद के ऋषि देखते हैं ।

इस बेला को संध्या बेला कहते हैं ।

अब गायत्री ⬇️



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