भागवत में सर्ग उत्पत्ति चरण 2 - 3

 पिछले अंक में प्रकृति - पुरुष संयोग से  महत् और अहँकार की उत्पत्ति को देखा गया और आज इस श्रृंखला में सात्त्विक अहँकार और राजस अहँकार से उत्पन्न होने वाले संर्गों को ब्रह्मा , मैत्रेय , कपिल और प्रभु श्री कृष्ण के विचारों के माध्यम से देख रहे हैं । 

सब के विचारों को एक स्लाइड में देखने से उनके सिद्धांतों को ठीक -ठीक समझने में सुविधा होगी , इस लिए ऐसा किया गया है ।

आइये देखते हैं निम्न 02 स्लाइड्स को ⬇️



Comments

Popular posts from this blog

क्या सिद्ध योगी को खोजना पड़ता है ?

पराभक्ति एक माध्यम है

गीतामें स्वर्ग,यज्ञ, कर्म सम्बन्ध