समय चक्र


टाइम – स्पेस रहस्य


भाग – 02


ऋग्वेद कहता है …......


वह धडकनें लगा [ It started pulsating ] और इस धडकन से सब कुछ जो है , जो हो रहा है और जो आगे होगा हो रहा है और हो - हो कर इसी में अब्यक्त भी हो रहा है //


कौन है वह , ऋग्वेद के ऋषि का ?


और विज्ञान कहता है … .....


आज से लगभग 14.7 billion साल पूर्व में अंतरिक्ष में कहीं एक 100 million light years क्षेत्रफल का hydrogen – atom बना और स्वत : फूट पड़ा और उसके फूटने से जो टुकड़े हुए उनमें से एक अति शूक्ष्म कण जो लगभग एक proton के बराबर का रहा होगा , उसमें फैलाव होनें लगा और फैलाव के फलस्वरुप Time- space का निर्माण शुरू हो गया और धीरे - धीरे सम्पूर्ण ब्रहमांड की सूचनाएं बनी , बन रहीं हैं और बनती रहेंगी / आप यदि विज्ञान में रुची रखते हो तो आप जानते भी होंगे की प्रकृति में सब अपनें प्रतिनिधी को पैदा कर रहे हैं जैसे पेड़ – पौधे , जीव – जंतु , पशु - पंछी एवं मनुष्य और गलेक्सियाँ भी तारों को जन्म दे रही हैं ; हमारी गलेक्सी श्वेत - गंगा लगभग 10 तारों को हर साल पैदा करती है / यहाँ प्रभु के राज्य में सब कुछ है उनमें से कुछ को वैज्ञानिक – आँखें देखती हैं , कुछ को हम सब भोग में डूबे लोग देखते हैं और कुछ जो इन दो की नज़रों से परे रह जाते हैं उनको देखते हैं रहस्य – योगी और देखते ही धन्य हो उठते हैं / गीता कहता है , दो के परे अद्वैत्य है जिसको प्रभु कह सकते हैं अर्थात संसार को देखनें वाला द्वैत्य माध्यम से देखता है , उसे और जो संसार को अद्वैत्य के फैलाव स्वरुप देखता है वह प्रभु से प्रभु में अपनें को पाता है लेकिन ऐसे योगी दुर्लभ होते हैं और ये प्रभु को खोजते नहीं प्रभु इनको खोजता रहता है / मोहन महाराज जिनको अभीं हाल में शांतिस्वरूप भटनागर अवार्ड गणित में मिला है , कहते हैं , god lives in multidimensional space which does not change , क्या है यह multidimensional space , इस बात को भी देखेगे आगे




=======ओम्========


Comments

Popular posts from this blog

क्या सिद्ध योगी को खोजना पड़ता है ?

पराभक्ति एक माध्यम है

गीतामें स्वर्ग,यज्ञ, कर्म सम्बन्ध