तंत्र [Tantra ] और योग[Yoga ]

आज शंकराचार्यों से लेकर अन्य बहुचर्चित धार्मिक संतों द्वारा तंत्र पर लेख लिखे जा रहे हैं जबकि -----
आस्तिक एवं नास्तिक बर्गों में तंत्र का नाम तक नहीं है ----ऐसा क्यों ?
हिन्दू मान्यता में आस्तिक वर्ग में निम्न को रखा गया है -----
[क] वैशेशिका
[ख] पूर्ब मीमांसा
[ग] वेदान्त
[घ] योग
[च] साँख्य
[छ] न्याय
और नास्तिक बर्ग में हैं -----
[क] जैन मत
[ख] बुद्ध मत
[ग] चार वाक्
अब आप को समझना है की यहाँ तंत्र कहाँ है ?
आज संकर जाती का बोल -बाला है , संकर जाती की सब्जियां मिलती हैं ,संकर जाती के अन्य खाद्य पदार्थ बाजार में उपलब्ध हैं और संकर नश्ल का संगीत लोगों को पसंद आ रहा है और इस जबानें में ध्यान-योग का भी संकर नश्लें उपलब्ध हैं .
भारत भूमि पर प्राचीनतम तीर्थों का सम्बन्ध jyotirlingam एवं शक्ति पीठों से है और इन दोनों का सम्बन्ध शिव से है जिनको तंत्र का मूल माना जाता है । शिव को तो परम त्रिदेव में मानकर यहाँ पूजा जा रहा है और इनकी उपज - तंत्र को लोगोंनें फेक दिया ---यह है धर्म के नाम पर राजनीति ।

मेरी उम्र 60 साल की है और मैं वाराणसी के पास का रहनें वाला हूँ जिसको शिव-नगरी कहते हैं ।
जब मैं छोटा था तब स्त्रियों को शिव मंदिरों में प्रवेश की अनुमति नहीं थी , वे शिवलिंगम की पूजा नहीं
कर सकती थी लेकिन वक्त बदला लोगों की सोच बदली ।

तंत्र एक विज्ञानं है - मन एवं तन का विज्ञानं जिसमें एक उर्जा से अनेक उर्जायें पैदा की जाती हैं और उन
उर्जावों से तन में एक स्पेस बनाया जाता है जो उसे दिखानें में समर्थ है जिसकी हम कल्पना भी नहीं
कर सकते । तंत्र बदनाम हुआ, काम के कारन , लोग तंत्र के नाम को काम से जोड़ कर उसे लोगों की पहुँच से दूर कर दिया ।
तंत्र साधना एक जटिल साधना है जिसको बिना योग्य गुरु , नहीं करना चाहिए ।

====ॐ=====

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