गंगा जल से समाधि तक --6

प्रयाग का संगम क्या है ?
यमुना और गंगा लगभग एक क्षेत्र से चलती हैं लेकिन यमुना धीरे -धीरे गंगा से दूर होनें लगती है लेकिन इस का अलगाव ज्यादा समय का नहीं होता अंततः यह प्रयाग में संगम पर स्वयं को गंगा को समर्पित कर देती है ।
संगम क्या है ?
संगम वह है जहां न तो दिन है न रात ....
संगम वह है जहां न सुख है न दुःख .......
संगम वह है जहां न तन है न मन ............
संगम वह है जहां न गंगा है न यमुना ......
संगम वह है जहाँ न भोग है न बैराग .....
संगम वह है जहां एक किरण है जो ह्रदय में वह ऊर्जालाती है जिससे जो भाव भरता है वह अब्यक्तातीत होता है ।
हिमालय से प्रयाग तक की यमुना - गंगा की यात्राओं में यमुना की यात्रा लम्बी यात्रा है और गंगा की यात्रा छोटी है ।
जैसे एक अहंकारी ब्यक्ति अपनें जीवन में खूब भागता है और जब थक जाता है तब गीता उठाता है , स्वयम को प्रभु को समर्पित करता है और अपनें इस काम से वह धन्य हो उठता है वैसे जमुना भी प्रयाग में पहुँच कर नत मस्तक हो कर गंगा को समर्पित हो जाती है और उसका यह समर्पण उसे गंगा बना देता है ।
२०वी शताब्द के मध्य में अमेरिका में थे एक भारतीय योगी - स्वामी योगानन्द ,उनको भारतीय दूतावाश में आमंत्रित किया गया था , जहां अनेक बुद्धि जीवी लोग थे । स्वामी जी प्रवचन में रुक गए और बोला --आप लोग मुझे माफ़ करे और अपनें - अपने स्थान को प्रस्थान करें क्योकि अब मेरा बुलावा आगया है , अब मुझे जाना होगा । स्वामीजी की बाते सुनकर लोग आश्चर्य में चकित हुए और वहाँ से चले गए । स्वामीजी अपनी आँखे बंद की और आखिरी श्वाश भरी ।
यह कहानी आप को इस लिए बताई गयी की जब आप संगम पर जाए तो स्वामी योग नन्द के रूप में यमुना को देखें --- वह किस नम्रता
के साथ अपनें अस्तित्व को गंगा में बिसर्जित करती है ।
संगम वह स्थान है जहां भोग-योग का मिलन होता है , जहां एक तरफ भोग संसार अपनी तस्वीर दिखता है और दूसरी ओर बैराग्य बुलाता है ।
संगम पर किया ध्यान खाली नहीं जाता
उर्जा को वैज्ञानक लोग छः तरह से ब्यक्त करते हैं --------
1- Physical Energy
2- Electrical Energy
3- Mental Energy
4- Emotional Energy
5- Instuitive Energy
6- Soul Energy
इनमें से आखिरी दो को मापने का कोई विज्ञानं अभी तक नहीं है लेकिन अन्य चार को मापा जाता है ।
मनुष्य के जीवन में उसके अन्दर जो उर्जा प्रवाहित होती रहती है उसकी फ्रीक्वेंसी 300-1000 cycles/second
की होती है । अमेरिका के वैज्ञानिक कुछ शोध काम उन लोगों के ऊपर किया है जो ध्यान की गहराई में उतर पाएं में सक्षम हैं । वैज्ञानिकों का कहना है ---

ध्यान की गहराई में उतरे योगी के अन्दर बहनें वाली उर्जा की फ्रीक्वेंसी लगभग 200,000 cycles/second से अधिक हो जाती है और तब वह योगी अपनें को शरीर से बाहर देखता है और वह तब परमात्मा मय
होता है ।
प्रयाग का संगम वह जगह है ------
जहां आप को यह स्थिति मिल सकती है , लेकिन इसके लिए आप स्वयं को तैयार करके संगम के लिए
प्रस्थान करे ।
कल्प-बॉस का समय आ रहा है , आप इस बार संगम का आनंद यदि लेनें में सफल हुए तो मैं अपनें को
धन्य भागी समझूंगा ।
====om=====

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