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संपूर्ण पतंजलि विभूति पाद

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  पतंजलि समाधि पाद ( 51 सूत्र ) में योग क्या है ? चित्त वृत्तियां हमें किस प्रकार नियंत्रित कर रही हैं तथा चित्त वृत्तियों को सही दिशा में रखने के 08 उपायों को  बताया गया है । जब चित्त की वृत्तियाँ निरोधित हो जाती है तब सम्प्रज्ञात समाधि की अनुभूति होती है , समाधि पाद जे आखिरी चरण में इसे भी बताया गया है । पतंजलि योगसूत्र के दूसरे पाद - साधन पाद में उन विधियों को बताया गया है जिनके अभ्यास से चित्त की गणित समझते हुए समाधि की अनुभूति संभव होती है । साधन पाद में अष्टांगयोग के 05 अंगों को बताया गया  है । क्रियायोग , पञ्च क्लेष , दुःख , प्रकृति - पुरुष , कृतार्थ और समाधि के संबंध में साधन पाद प्रकाश डालता है । साधन पाद के बाद पतंजलि योगसूत्र में तीसरा पाद है - विभूति पाद जिसके 55 सूत्रों को यहाँ दिया जा यह है लेकिन पहले इस पाद के सार को यहाँ निम्न स्लाइड में देखें ⬇️ विभूति पाद सूत्र : 1 , 2 , 3  विभूति पाद सूत्र : 1 धारणा क्या है ? धारणा अष्टांगयोग का 6 वां अंग है । चित्तको किसी देश से बांध देना धारणा है । देशका अर्थ है कोई सात्त्विक आलंबन । आलंबन स्थूल या  सूक्ष्म...