गीता के 18 श्लोक जो सांख्य दर्शन आधारित हैं भाग - 1

 सांख्य दर्शन में प्रकृति - पुरुष संयोग  सृष्टि रचना का आधार है । सांख्य की मूल प्रकृति तीन गुणों की साम्यावस्था है जो पुरुष ऊर्जा के ओरबुआव में विकृत हो उठती है और 23 तत्त्वों की उत्पत्ति होती है । 23 तत्त्व और प्रकृति - पुरुष से सृष्टि - विकास होता है ।

💐 गीता में अपरा और परा दो प्रकार की प्रकृतियों के संयोग से सृष्टि की उत्पत्ति बतायी जा रही है । अपारा के 08 तत्त्व हैं - पञ्च महाभूत + मन +बुद्धि +अहँकार और चेतना को परा प्रकृति बताया गया है ।

अभी स्लाइड में 18 श्लोकों में से प्रारंभिक कुछ श्लोकों को देखते हैं





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