आसक्ति से हुआ कर्म भोग है
1 - गीता सूत्र - 3.19
आसक्ति रहित कर्म प्रभु को दिखाता है
2 - गीता सूत्र - 5.10
आसक्ति रहित कर्म करनें वाला जैसे कमल- पत्र पानी में रहते हुए पानी से अप्रभावित, उससे अछूता रहता है वैसे भोग कर्म में रहता है
3 - गीता सूत्र - 5.11
कर्म योगी के कर्म उसे और निर्मल करते हैं
4 - गीता सूत्र - 18.49
आसक्ति रहित कर्म से नैष्कर्म्यता की सिद्धि मिलती है
5 - गीता सूत्र - 18.50
निष्कर्मता की सिद्धि ही ज्ञान योग की परा निष्ठा है
6 - गीता सूत्र - 4.23
आसक्ति रहित कर्म कर्म बंधन मुक्त बनाता है
गीता के छः सूत्रों को आज आप अपना सकते हैं
=== ओम् =====
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