मन परमात्मा है

गीता तत्त्व विज्ञान के एक सौ सोलह सूत्रों की श्रृंखला में अगला सूत्र ------

गीता सूत्र –10.22

इन्द्रियाणाम् मनश्चास्मि

भूतानां अस्मि चेतना


इन्द्रियों में मन , मैं हूँ

और भूतों में चेतना भी मैं ही हूँ //


among senses I am the mind

and

among livings , I am consciousness .


गीता सूत्र 6.15 में प्रभु कहते हैं … ..

मन माध्यम से निर्वाण प्राप्त करना ही ध्यान है

और

गीता सूत्र 8.8 में कहते हैं … ..

मन में मुझको जो बसाता है उसे मोक्ष मिलता है //


गीता सूत्र 7.4 में प्रभु यह भी कहते हैं … ...

अपरा प्रकृति के आठ तत्त्वों में एक तत्त्व मन भी है //


मेरा काम हो गया , मैं आप को गीता में बैठाना चाहता हूँ , सो कर दिया , अब आप

इसमें कैसे तैरते हैं ? गीता सागर में और क्या - क्या देखते हैं , यह आप पर निर्भर करता है /

गीता के माध्यम से प्रभु आप के साथ हैं //


=====ओम=======


Comments

Popular posts from this blog

क्या सिद्ध योगी को खोजना पड़ता है ?

पराभक्ति एक माध्यम है

गीतामें स्वर्ग,यज्ञ, कर्म सम्बन्ध