गीता श्लोक - 13.18



सभी प्रकाश उत्पन्न करनें वाली सूचनाओं में प्रकाश पैदा करनें की ऊर्जा ------
अन्धकार से परे --------
अगोचर -------
ज्ञान .......
ज्ञेय ......
एवं ....
ज्ञान के लक्ष्य ....
सब के ह्रदय में बसे हुए ,
जो हैं ,
उनको हम प्रभु के नाम से जानते हैं ॥
He is light of lights , he is said to be beyond darkness ,
He is knowledge ,
the object of knowlegde , and goal of knowledge .
He is seated in the hearts of all beings .

लगाइए अपनी बुद्धि इस सूत्र पर ,
देखते हैं आप यहाँ की गीता कैसे गागर में सागर भर रहा है ?

गीता कह रहा है ----

ज्ञान , ज्ञेय और ज्ञान के लक्ष्य रूप में प्रभु हैं ,
अर्थात .....
ज्ञान वह है जो प्रभु से पहचान कराये ,
तभी तो गीता सूत्र - 4.38 कहता है -----

योग सिद्धि से ज्ञान मिलता है ॥

आज इतना ही ----

गीता को अपना कर ......
अपनें को निर्मल करते रहें .....

==== ॐ =====

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