सांख्य कारिका : 1 - 10 सार भाग : 2

 💐 सांख्य दर्शन में आत्मा , जीवात्मा , ब्रह्म और परमात्मा के संबोधनों की अनुपस्थिति है । सांख्य दर्शन को भी यहाँ के बुद्धि जीवी वर्ग के लोग दो भागों में विभक्त कर रखा है । एक वर्ग पुरुष शब्द का अर्थ ईश्वर लगता है तो दूसरा वर्ग पूर्ण रूपेण इसे अनैश्वरबादी दर्शन के रूप में देखता है ।

👌 जबतक हम सांख्य दर्शन के सूत्रों को ठीक - ठीक नहीं समझ लेते तबतक पतंजलि योग दर्शन और अन्य भारतीय दर्शनों में दी गयी साधना सम्बंधित बातों को समझना संभव नहीं। 

💐 यहाँ हम सांख्य कारिका : 1 - 10 तक के सार को 03 स्लाइड्स में दे रहे है । इसे देने का मात्र एक कारण है और वह यह है कि पहले कारिका : 1 - 10 तक को दिया जा चुका है अतः उनकी पुनरावृत्ति करना उचित न था पर स्मृति में इन कारिकाओं को बनाये रखने के उद्देश्य से संक्षेप में इनका हिंदी भावार्थ एक बार पुनः दे रहा हूँ जिससे आगे की कारिकाओं को ठीक से समझा जा सके । आगे कारिका 11 - 72 को विस्तार से दिया जाएगा जिसमें संस्कृत के सूत्र भी देखे जा सकते हैं।

👌 अब देखते हैं स्लाइड - 2 को ⬇️



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