गीता कह रहा है .......

जिसका कर्म त्याग मन से हुआ होता है उसकी आत्मा नौ द्वारों वाले घर में चैन से रहती है
गीता - 5.13

परम पद स्वप्रकाशित है
गीता - 15.6

सात्त्विक गुण के उदय होनें पर सभीं द्वार प्रकाशित होते हैं
गीता - 14.11

ज्ञान से परम प्रकाश की अनुभूति होती है
गीता - 5.16

काम - क्रोध - लोभ रहित परम पद प्राप्त करता है
गीता - 16.21 - 16.22

गीता के इन मूल मन्त्रों को आप अपनें जीवन से जोड़ें

==== ओम् =====


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