गीता - यात्रा




[क] विषयों को इन्द्रियों से पहचानो

[ख] इन्द्रियों की चाल को मन से समझो

[ग] मन को बुद्धि के सहयोग से देखो

और .....

बुद्धि को एक पर स्थिर करो

वह एक कौन है ?

वह जो .....

अब्यक्त है

अविज्ञेय है

क्षेत्रज्ञ रूप में हम सब में है

पुरुष रूप में ब्रह्माण्ड का नाभि केंद्र है

और

जिस से ....

जिसमें .....

वह सब है , जो आज है

वह सब होगा जो कल होगा

और

जिस से एवं जिसमें

टाइम - स्पेस फ्रेम है ॥

==== ॐ ======

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