गीता अमृत - 40

गीता में ज्ञान शब्द क्या है ?

लगभग गीता के 140 श्लोकों का सार यहाँ दिया जा रहा है जो आप को गीता में ज्ञान शब्द को स्पष्ट करेगा , आप इन बातों को अपनें स्मृति में बैठानें की कोशिश करें ।
Prof. Albert Einstein says - Information is not knowledge.
गीता कहता है ------
[क] सूत्र - 7.27 .... इच्छा , द्वेष , द्वन्द एवं मोह रहित ब्यक्ति , ज्ञानी है ।
[ख] सूत्र - 13.2 .... क्षेत्र - क्षेत्रज्ञ का बोध , ज्ञान है ।
[ग] सूत्र - 13.7 - 13.11 तक .... राजस - तामस गुणों के प्रभाव में जो न हो , वह ज्ञानी है ।
[घ] सूत्र - 15.10 - 15.11 ......... भोगी - योगी एवं आत्मा - परमात्मा को जो जानें , वह ज्ञानी है ॥
[च] सूत्र - 2.55 - 2.72 तक ...... स्थिर प्रज्ञा वाला , ज्ञानी है ।
[छ] सूत्र - 14.22 - 14.27 तक -- गुनातीत योगी , ज्ञानी है ।
[ज] सूत्र - 6.29 - 6.30 ............ सब को आत्मा - परमात्मा से एवं आत्मा - परमात्मा में देखनें वाला , ग्यानी है ।
आत्मा क्या है ? इसके लिए देखिये गीता सूत्र - 2.18 - 2.30, 10.20, 13.32 - 13.33, 15.7 - 15.815.11, 14.5 को जो कहते हैं --- आत्मा परमात्मा का अंश है जो ह्रदय में होता है और जो एक अबिभाज्य ,अपरिवर्तनशील द्रष्टा / साक्षी के रूप में है ।
परमात्मा क्या है ? इसके लिए आप को गीता अध्याय - 2, 5, 7 - 13, 15, 18 में लगभग 83 श्लोकों को देखना पडेगा जो कहते हैं --- परमात्मा से परमात्मा में ब्रह्माण्ड है एवं ब्रह्माण्ड की सभी सूचनाएं हैं , थी और होती रहेंगी । वैज्ञानिक टाइम - स्पेस परमात्मा में है , परमात्मा भी द्रष्टा एवं साक्षी है । परमात्मा से तीन गुणों की माया से ब्यक्त संसार है लेकीन प्रभु माया मुक्त है ।
आप को गीता के लगभग 140 सूत्रों का सार यहाँ दिया गया , उम्मीद है की इनसे आप प्रभु की ओर चलेंगे ।

====ॐ======

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