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गीता अध्याय - 15 की एक झलक

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  एक  झलक ⬇️ गीता अध्याय : 15 का सार … ◆ प्रभुका परमधाम स्व प्रकाशित है , उसे सूर्य - चंद्र प्रकाशित नहीं करते । 🌷👌 जीवात्मा प्रभुका अंश है । ◆ देह त्यागके समय देहके ईश्वर ( अर्थात जीवात्मा ) के संग मन सहित इन्द्रियाँ भी होती हैं ( गीता : 15.8 ) । ★ मन सहित ज्ञान इंद्रियोंको लिंग शरीर कहते हैं  ( भागवत : 11.22.36 ) । ● भागवत : 3.25 > मन बंधन मोक्षका माध्यम है।  <> गीता श्लोक : 15.8 के साथ गीता श्लोक : 8.5 और 8.6 को भी देखें । 🌷 यत्नशील योगी आत्माकी अनुभूति अपने हृदयमें करता है। ◆ सूर्य , चन्द्रमा और अग्निका तेज प्रभु श्री कृष्ण हैं । ● पृथ्वी की धारण शक्ति , भोजन पचाने की ऊर्जा वैश्वानर भी प्रभु हैं ।  ◆ सबके हृदय में स्थित प्रभु स्मृति , ज्ञान एवं सभीं प्रकार के भाव उत्पन्नके की ऊर्जा पैदा करते हैं । ☸ सनातन ऊर्ध्वमूल अश्वत्थम् बृक्ष के सम्बन्ध में गीता श्लोक : 15 .1 - 15.4 हैं । सनातन ऊर्ध्वमूल अश्वत्थम् बृक्ष क्या  है ? 1 - भागवत : 10.2.26 - 30    जब देवकी का गर्भ  रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित कर दिया गया था तब अन्य  देवताओं - ऋषियों सहित नारद कंस के काराग

गीता अध्याय - 13 एक झलक

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  एक  झलक ⬇️ गीता अध्याय : 13 का सार  🌷 क्षेत्र - क्षेत्रज्ञका बोध , ज्ञान है । ★ प्रकृति - पुरुष अनादि हैं । ★ कार्य - करण प्रकृति मूलक हैं । ◆ क्षेत्र - क्षेत्रज्ञ को वेदों एवं  ब्रह्म सूत्र में भी बताया गया है। ● देह क्षेत्र है और देह में स्थित मैं ( कृष्ण ) क्षेत्रज्ञ कहलाता हूँ । ◆ क्षेत्र सविकार है और क्षेत्र में स्थित क्षेत्री (प्रभु ) निर्विकार हैं । ● 11इंद्रियों , अहँकार , बुद्धि , 05 महाभूत , 05 तन्मात्र , चेतना , धृतिका , विकार , सुख - दुःख , इच्छा - द्वेषादि युक्त यह क्षेत्र है ।  🌷 ब्रह्म न सत् है , न असत् । वह इंद्रिय रहित है पर इंद्रिय बिषयों को जानता है । ◆ उसकी इन्द्रियाँ सर्वत्र हैं । संपूर्ण ब्रह्माण्ड उससे एवं उसमें है । ★ वह अनादि , अव्यय , अविज्ञेय और निर्गुण है ।  अध्याय - 13 के प्रमुख विषय⤵️ श्लोक बिषय श्लोको का योग   1 - 6 26  ज्ञान की परिभाषा   क्षेत्र - क्षेत्रज्ञ + सर्ग  07 7 - 11 ज्ञान - अज्ञान 05 12 - 18 24 - 25 ब्रह्म 09 19 - 23 29 प्रकृति - पुरुष 06 27 , 28 , 30 - 34 परमेश्वर / आत्मा 07 योग  > > > >       > > 34 ~~◆◆ ॐ ◆◆~~

गीता अध्याय - 8 की एक झलक

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  श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय -8 1 - इस अध्याय में 28 श्लोक हैं जिनमें श्लोक : 1 - 2 के माध्यम से अर्जुन का प्रश्न है । अध्याय - 8 के आकर्षण 👇 🌷अर्जुन का प्रश्न  ● ब्रह्म , अध्यात्म , कर्म , अधिभूत , अधिदैव , अधियज्ञ क्या हैं ? और अधियज्ञ देह में कैसे है ?  ◆ ब्रह्म , कर्म , अध्यात्म , अधिभूत , अधियज्ञ , अधिदैव की परिभाषाएँ  ◆ अंत समय के समय के समय किये जाने वाले ध्यान की विधि  ◆ परम गति - परम धाम क्या हैं ? ◆ समय की गणित  ● आवागमन की गतियाँ श्लोक बिषय योग 1 - 2 अर्जुन का प्रश्न ब्रह्म , अध्यात्म , कर्म , अधिभूतं , अधिदैव और अधियज्ञ क्या हैं ? अधियज्ञ देह में कैसे है? 02 3 - 28 प्रभु श्री का उत्तर 26 ● परम अक्षर ब्रह्म है  ●स्वभावः अध्यात्मम्  ●भूतभावोद्भवकरो  विसर्ग : कर्म :  ● क्षर: भावः अधिभूतं  ● पुरुषः अधिदैवतं  ◆ देहे अहम् अधियज्ञ : ★अंतकाल की गहरी स्मृति अगले जन्म को नियोजित करती है ।  # अभ्यासयोग युक्त को प्रभु मिलते हैं । ★ आज्ञाचक्र पर ध्यान  ★ परमपद प्राप्ति कैसे ? योग➡️ 28 ~~◆◆ ॐ ◆◆~~

गीता अध्याय - 3 की एक झलक

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  एक  झलक ⬇️ 🌷अध्याय : 03 के आकर्षण ⬇ ➡ कर्म मनुष्य स्वयं नहीं करता , उसके अंदर स्थित प्रकृति मूलक तीन गुण कर्म करवाते हैं तथा करता का भाव अहँकार की उपज है । ➡ देह में स्थित तीन गुणों में हो रहा हर पल परिवर्तन , कर्म करने की ऊर्जा उत्पन्न करता है । ➡ माया त्रिगुणी है और हम आत्मा - माया के योग  हैं ।  ➡ हठात्  कर्म इंद्रियोंका नियोजन करना मूढ़ता लाता है क्योंकि मन तो बिषयों का चिंतन करता ही रहता है अतः मनसे इंद्रिय नियोजन होना चाहिए ।  ➡ राजस गुण से उत्पन्न कामका रूपांतरण ही क्रोध है जो पाप करवाता है ।     अध्याय : 3 के ध्यानोपयोगी श्लोक ⤵️ क्र सं श्लोक बिषय  4 ,5,19 - 20 27 - 29   ( 7 ) कर्म , गुण - कर्म विभाग 6 , 7 , 34 (3) इन्द्रिय नियोजन +बिषय 17 , 18 (2) आत्मा केंद्रित 37 - 43 (8) टोटल - 20 काम ◆◆◆◆~~

प्रभु श्री कृष्ण और संख्या - 18

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  प्रभु श्री कृष्ण और संख्या - 18 ● महाभारत में  18 पर्व  हैं  ★ श्रीमद्भागवत पुराण में 18,000 श्लोक हैं ◆ जरासंध मथुरा पर 18 बार आक्रमण किया  ● गीतामें   18 अध्याय हैं  ◆ महाभारत युद्ध  18 दिन चला  ● युद्ध में 18 अक्षौहिणी सेनाएं भाग ली   और अब आगे ⬇️ ● एक अक्षौहिणी में 21870 रथ और इतने ही हाँथी थे । ● ऊपर की संख्या 21870 के अंकों के जोड़ को देखिये ( 2 + 1 + 8 +7  + 0 = 18 ) ; है , न मजेदार गणित ! ● घुड़सवारों की संख्या  65,610 थी अब इस सांख्य के अंकों के योग को देखें ( 6 + 5 + 6 + 1 + 0 = 18 ) , यह गणित भी कैसी लगी , आपको !  ● पैदल योद्धाओं की संख्यस 1, 09, 350 थी , अब इस संख्या के अंकों के जोड़ को देखिये  ( 1 + 0 + 9 + 5 + 0 = 18 ) ;  है , न मजेदार गणित !  🌷रथ , हांथी , घुड़सवार और पैदल सैनिकों की संख्यायों में 1:1:3:5 का अनुपात था ।  अब इसे भी देखें ⤵️ 🌷  महाभारत युद्ध में 18 अंक के गहरे राज में 1 + 8 = 9 अर्थात 9 ग्रह की छाया को भी समझ लें 🌷