सांख्य में 14 प्रकार की और भागवत में 43 प्रकार की सृष्टियाँ

सांख्य दर्शन में 14 प्रकार प्रकार की लिङ्ग सृष्टियाँ पिछले अंक में देखी गयी और अब देखिये भागवत पुराण में 43 प्रकार की लिङ्ग सृष्टि ।
ध्यान रहे कि बिना भाव सृष्टि लिङ्ग सृष्टि का होना संभव नहीं और बिना लिङ्ग सृष्टि भाव सृष्टि का ब्यक्त होना संभव नहीं । बुद्धि से तीन अहंकारों की उत्पत्ति है और सात्त्विक अहँकार से से 11 इन्द्रियां तथा तामस अहँकार से पांच तन्मात्र उत्पन्न हुए हैं और तन्मात्रों से महाभूत हैं । महाभूतों से स्थूल देह का निर्माण हुआ है। इस प्रकार सृष्टि रहस्य में भाव और लिङ्ग दोनों एक दूसरे के पूरक हैं । ~~●● ॐ ●●~~

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