ब्रह्म और माया

● गीता ज्ञान-1●
* पूरा ब्रह्माण्ड जो सीमारहित है जब रिक्त गो जाता है अर्थात जब इसमें जोई दृश्य नहीं रहता तब यह ब्रह्म होता है ।
* ब्रह्मसे ब्रह्ममें तीन गुणोंका एक माध्यम विकसित होता है जिसे ब्रह्मकी माया कहते हैं ।ब्रह्म और मायाको अलग नहीं किया जा सकता और यह भी नहीं कहा जा सकता कि ब्रह्म ही माया है या माया ही ब्रह्म है ।ब्रह्मसे माया है , मायाका अस्तित्व ब्रह्म आधारित है लेकिन ब्रह्मका अस्तित्व माया आधारित नहीं है ।
* माया और काल रूप ब्रह्मसे महत्तत्त्वका निर्माण होता है जो मायासे मायामें एक ऐसा माध्यम है जिसमें जीव निर्माण करनेंकी क्षमता है ।
* आज वैज्ञानिक इस महत्तत्त्वको कण रूपमें प्रयोगशालामें पैदा करनेंकी चेष्ठामें लगे हुए हैं ।
~~~ ॐ ~~~

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