गीता संकेत भाग एक


गीता संकेत नाम से गीता के सूत्रों की एक श्रृंखला आज प्रारम्भ हो रही है , देखते हैं यह गीता मार्ग हमें कहाँ से कहाँ ले जाता है /


गीता सूत्र –8.5




अंत – काले च माम् एव स्मरन् मुक्त्वा कलेवरम् /


यः प्रयाति सः मद्भावं याति नअस्ति तत्र संशयः //


शाब्दित अर्थ---


यः अन्तकाले माम् स्मरन् मुक्त्वा कलेवरम्


सः मद्भावं याति //


अर्थात


वह जो अंत समय आनें पर मात्र मुझे स्मरण करता है वह मेरे भाव को प्राप्त करता है //




Whoever at the time of death gives up his body and departs keeping Me only in his mind alone , he touches Me , there is no doubt in it .




गीता का यह सूत्र क्या इशारा दे रहा है?


क्या हरे राम हरे कृष्ण का जो जाप करता हुआ प्राण त्यागता है वह आवागमन से मुक्त हो जाता है ?




वह जिसकी गर्दन कभीं नीचे न झुकी हो … ..


वह जो अपना जीवन अहंकार की ऊर्जा से चलाया हो … .


वह जिसके लिए काम ही जीवन का रस रहा हो … ..


वह जो क्रोध , लोभ , ममता एवं भय में जीवन गुजारा हो … .


वह यदि अंत समय में न चाहते हुए,मात्र मोक्ष प्राप्ति की कामना से …..


श्री कृष्ण हरे राम हरे कृष्ण बोलता हुआ आखिरी श्वास भरे तो क्या वह मुक्त हो सकता है?




इन तमाम प्रश्नों के सम्बन्ध में आप सोचें , अगले कुछ श्लोक इन प्रश्नों से सम्बन्ध में ही होंगे //






==========ओम===============


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