गीता के एक सौ सोलह ध्यान सूत्र एक

गीता के एक सौ सोलह ध्यान सूत्रों की श्रंखला में अगले कुछ और सित रों को आप देखें …
गीता सूत्र 14.5
मनुष्य के देह मे आत्मा को तीन प्राकृति जन्य गुणरोक कर रखते हैं //
गीता सूत्र 14.19
गुणों को कर्ता रूप में देखनें वाला द्रष्टा होता है //
गीता सूत्र 14.10
गीता यहाँ वह विज्ञान दे रहा है जोआज तो विज्ञान में नहीं है लेकिन आनें वाले दिनों में यह विज्ञान का बिषय जरुर बनेगा … ..
गीता यहाँ कह रहा है … ..
प्रत्येक मनुष्य में तीन गुण हर पल रहते हैं , उनमें जब एक गुण ऊपर उठाता है तब अन्य दो कमजोर पड़ जाते हैं और ऊपर उठा गुण मनुष्य से वह कर्म करवाता है जो उसके अधीन होता है / गुणों का ऊपर उठान और पुनः नीचे आना ऐसे होता रहता है जैसे थर्मामीटर का पारा ऊपर नीचे उठाता रहता है / मनुष्य का खान , पान और सोच गुणों में परिवर्तन लाते हैं /
तीन गुणों का परिणाम मनुष्य का स्वभाव बनाता है , स्वभाव से मनुष्य कर्म करता है //
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